केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि देश में 5जी की शुरुआत के दौरान इस्तेमाल होने वाले 80 प्रतिशत दूरसंचार उपकरणों का निर्माण स्थानीय स्तर पर किया गया और देश फिलहाल ऐसे उत्पादों का निर्यात 72 देशों को करता है। उन्होंने कहा, ‘हम दुनिया के बेहतरीन विनिर्माताओं के साथ समान शर्तों (गुणवत्ता में) पर प्रतिस्पर्द्धा कर रहे हैं। कंपनियां भारत में स्थानीय बौद्धिक संपदा तैयार कर रही हैं। हालांकि कई उपभोक्ता वस्तुओं में लागत एक कारक है। लेकिन यह एक ऐसा विशिष्ट क्षेत्र है जिसमें अगर गुणवत्ता ठीक नहीं हुई तब इससे ग्राहकों को खराब अनुभव होगा।’
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने हाल ही में देश में नेटवर्किंग और दूरसंचार उपकरण निर्माण को बढ़ावा देने की सिफारिशें की थीं जिसके बाद मंत्री का यह बयान आया है। नियामक ने यह पाया कि सरकार, भारत में उत्पादन को लेकर प्रोत्साहन योजना पर जोर दे रही है लेकिन इसके बावजूद चीन जैसे देशों में दूरसंचार हार्डवेयर का निर्माण करने से लागत में 12-13 प्रतिशत की कमी आती है।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने केवल 173 करोड़ रुपये के नेटवर्क उपकरणों का निर्यात किया। वैष्णव ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस से इतर एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘जिन कंपनियों ने भारत में डिजाइन तैयार करना और निर्माण करना शुरू कर दिया, आज वे उपकरणों की निर्यातक कंपनी बन गई हैं। भारत में डिजाइन किए गए और बनाए गए दूरसंचार उपकरण दुनिया के 72 देशों में निर्यात किए जाते हैं।’सेमीकंडक्टर के निर्माण के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि देश में चिप संयंत्र का निर्माण करने के लिए कम से कम तीन खिलाड़ी सरकार से बात कर रहे हैं।