facebookmetapixel
प्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमित

भारत, साकू देशों के साथ कर सकता है मुक्त व्यापार समझौता, FTA से देश को मिलेगा बड़ा बाजार

भारत से होने वाले कुल निर्यात में साकू देशों की करीब 2 फीसदी हिस्सेदारी है

Last Updated- June 26, 2023 | 12:57 AM IST
India Trade data

भारत और साउथ अफ्रीका कस्टम्स यूनियन (साकू) के पांचों देश मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की संभावना तलाश रहे हैं। मामले के जानकार लोगों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत अगले 3-4 महीने में शुरू होने की उम्मीद है।

साकू (SACU) राष्ट्रों में द​क्षिण अफ्रीका, नामीबिया, बोत्स्वाना, लेसोथो और एस्वातीनी शामिल हैं। यह दुनिया का एक सदी से भी ज्यादा पुराना कस्टम्स यूनियन है।

मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने कहा कि दोनों पक्ष जल्द ही एफटीए की शर्तों को अंतिम रूप दे देंगे। उसके बाद इस पर बातचीत शुरू होगी। उन्होंने कहा कि कस्टम्स यूनियन के साथ व्यापार समझौता होने से भारत को अपने उस सामान के लिए बड़ा बाजार मिल जाएगा, जिसकी पहले ही अच्छी खासी मांग है। इन उत्पादों की सूची में वाहन सबसे ऊपर हैं। उनके बाद इंजीनियरिंग वस्तुओं और मशीनरी का स्थान आता है।

भारत से होने वाले कुल निर्यात में साकू देशों की करीब 2 फीसदी हिस्सेदारी है। वित्त वर्ष 2023 में वहां 8.91 अरब डॉलर का माल निर्यात किया गया था। मगर इन पांच देशों को किए गए कुल निर्यात में से करीब 95 फीसदी कीमत का माल दक्षिण अफ्रीका गया। द​​क्षिण अफ्रीका भारत से वाहनों के निर्यात का बड़ा ठिकाना है।

विकसित देशों के साथ व्यापार संधि करने की तुलना में साकू राष्ट्रों के साथ समझौता करना ज्यादा आसान हो सकता है। विकसित देशों का जोर एफटीए में व्यापार से अलग मुद्दों पर ज्यादा बढ़ रहा है।

साकू में ज्यादातर विकासशील देश हैं, इसलिए श्रम, स्त्री-पुरुष भेद, पर्यावरण जैसे व्यापार से इतर मसले समझौते का हिस्सा नहीं होंगे। माल और सेवाओं के लिए ज्यादा बड़ा बाजार हासिल करने पर ही जोर होगा।
साकू देशों के साथ भारत का व्यापार भी कमोबेश संतुलित ही है। वित्त वर्ष 2023 में इन देशों को कुल 8.91 अरब डॉलर मूल्य का सामान निर्यात किया गया था और वहां से 10.9 अरब डॉलर का आयात हुआ था। इसलिए व्यापार घाटा भी बहुत कम रहा। आयात में भी 95 फीसदी निर्भरता दक्षिण अफ्रीका पर ही है। आयात की जाने वाली वस्तुओं में कोयला, लौह-अयस्क, गैर-औद्योगिक हीरे आदि शामिल हैं।

भारत और साकू राष्ट्रों ने पहले भी तरजीही व्यापार समझौते के लिए बात की थी। भारत-साकू तरजीही व्यापार समझौते के लिए तकनीकी वार्ता का पहला चरण अक्टूबर, 2007 में प्रीटोरिया में हुआ था। उसके बाद 2010 तक चार दौर की वार्ता और हुई थी।

वा​णि​ज्य विभाग की वेबसाइट पर कहा गया है, ‘पांचवें दौर की बातचीत 7-8 अक्टूबर, 2010 को हुई थी। इस दौर की बातचीत में साकू ने तरजीही व्यापार समझौते के लिए संशो​धित दस्तावेज पेश किया था। बाद में दोनों पक्षों के बीच विवाद निपटान प्रक्रिया के स्थान पर भारत द्वारा सुझाए गए ‘सीमा शुल्क सहयोग और व्यापार सुविधा’ तथा साकू द्वारा प्रस्तावित ‘SPS’ शब्दों का इस्तेमाल करने पर सहमति बनी।’ उसके बाद से बातचीत रुकी हुई है और अभी तक कोई समझौता नहीं हो पाया है।

First Published - June 25, 2023 | 11:01 PM IST

संबंधित पोस्ट