अर्थव्यवस्था

2038 तक US को पीछे छोड़कर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत: EY Report

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर 20.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकती है

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- August 27, 2025 | 8:50 PM IST

वैश्विक पेशेवर सेवा फर्म EY (Ernst & Young) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर 20.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकती है और 2038 तक भारत अमेरिका को पीछे छोड़कर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। रिपोर्ट का यह विश्लेषण EY Economy Watch – अगस्त 2025 संस्करण में किया गया है।

  • IMF के अनुसार, FY25 में भारत का GDP (PPP के आधार पर) USD 14.2 ट्रिलियन आंका गया है, जो मार्केट एक्सचेंज रेट (USD) से लगभग 3.6 गुना अधिक है।
  • भारत, चीन और अमेरिका के बाद पहले ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है (PPP के आधार पर)।
  • अगर भारत 6.5% की औसत वार्षिक वृद्धि और अमेरिका 2.1% की वृद्धि बनाए रखते हैं (2028–2030 तक), तो भारत 2038 तक अमेरिका को भी पीछे छोड़ सकता है (PPP आधार पर)।
  • 2028 तक भारत जर्मनी को पछाड़कर मार्केट एक्सचेंज रेट के आधार पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

EY इंडिया के चीफ पॉलिसी एडवाइजर डी. के. श्रीवास्तव ने कहा, “भारत की comparative strengths — जैसे युवा और कुशल कार्यबल, उच्च बचत और निवेश दरें, और स्थायी ऋण प्रोफ़ाइल — उसे वैश्विक अस्थिरताओं के बावजूद उच्च वृद्धि बनाए रखने में सक्षम बनाती हैं।”

सीमित रहेगा अमेरिकी टैरिफ का असर:

  • 27 अगस्त 2025 से लागू हुए 50% आयात शुल्क भारत के 48 अरब डॉलर के निर्यात पर प्रभाव डाल सकते हैं।
  • प्रभावित क्षेत्र: टेक्सटाइल, ज्वैलरी, झींगा, चमड़ा-फुटवियर, पशु उत्पाद, रसायन, मशीनरी आदि
  • फार्मा, ऊर्जा उत्पाद, और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं शुल्क से बाहर हैं।
  • भारत के कुल निर्यात का लगभग 20% हिस्सा अमेरिका का है।
  • 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर का निर्यात और 45.3 अरब डॉलर का आयात किया।
  • द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर तक पहुंचा।

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ का सीधा असर भारत की GDP पर लगभग 0.9% हो सकता है। यदि इसका एक-तिहाई हिस्सा वास्तविक मांग में गिरावट लाता है, तो कुल प्रभाव 0.3% तक सिमट सकता है। उचित नीतियों और प्रतिकार उपायों (जैसे आयात में कटौती और घरेलू मांग बढ़ाना) से यह असर केवल 0.1% (10 बेसिस पॉइंट) तक सीमित किया जा सकता है। इसका मतलब है कि FY26 में भारत की संभावित 6.5% विकास दर घटकर अधिकतम 6.4% तक आ सकती है।

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रिपोर्ट के अनुसार, भारत तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और घरेलू मांग पर आधारित विकास की दिशा में अग्रसर है और यह 2047 तक ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। EY की रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि भारत वैश्विक आर्थिक मंच पर तेजी से उभर रहा है। मजबूत घरेलू मांग, युवा जनसंख्या और तकनीकी क्षमताएं भारत को आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था के नए शिखरों तक पहुंचाने में सक्षम बनाएंगी, भले ही उसे अमेरिका जैसे देशों की नीति चुनौतियों का सामना क्यों न करना पड़े।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

First Published : August 27, 2025 | 8:50 PM IST