रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा कि तेजी से ऋण वद्धि और ऐतिहासिक रूप से जोखिम लेने की प्रवृत्ति के कारण भारत और वियतनाम जैसे उभरते बाजारों में परिसंपत्ति गुणवत्ता का दबाव बढ़ गया है। हालांकि, मजबूत आर्थिक स्थितियों और कम ब्याज दरों के कारण अल्पावधि में परिसंपत्ति गुणवत्ता बेहतर होने का अनुमान है।
रेटिंग एजेंसी ने एशिया प्रशांत (एपीएसी) के बैंकों में जोखिम लेने की क्षमता और परिसंपत्ति गुणवत्ता पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत और वियतनाम में गैर निष्पादित ऋण (एनपीएल) अनुपात में सुधार की उम्मीद है।
फिच ने कहा कि ब्याज दरों में कटौती और आर्थिक गति जारी रहने के कारण 2025-26 में परिसंपत्ति गुणवत्ता के जोखिम में व्यापक रूप से कमी आने की उम्मीद है। उसने कहा कि ऋण खंडों जैसे खुदरा ऋण, एसएमई और वाणिज्यिक रियल एस्टेट (सीआरई) के सबसे ज्यादा नाजुक रहने का अनुमान है। फिच ने कहा, ‘हमारा मानना है कि बैंक व्यवहार्यता रेटिंग (वीआर) के पास अगले दो वर्षों में और गिरावट को झेलने की पर्याप्त गुंजाइश है। हालांकि इस क्षेत्र में कुछ अपवाद भी हैं।