वित्त मंत्री के रूप में अपना पसंदीदा मंत्रालय संभाल रहे प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मंदी के मर्ज में जकड़ती देश की अर्थव्यवस्था और उद्योग जगत को आखिरकार राहत पैकेज की घुट्टी रविवार को पिला ही दी।
चौतरफा रियायतों और राहत पैकेज की इस दवा के तहत सरकार का इरादा मांग में तेजी लाकर सुस्त पड़ती नब्ज को वापस सामान्य बनाने का है।
पैकेज में कई मोर्चों पर कर कटौती के साथ-साथ निर्यात, आवास, कपड़ा और ढांचागत क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त फंड एवं सहायता भी दी गई है।
इसका ऐलान करते हुए एक सरकारी बयान में कहा गया- सरकार वैश्विक वित्तीय संकट के भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर चिंतित है। इस समस्या से निपटने के लिए अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
साथ ही, विकास दर की तेजी को भी बनाए रखने के लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त उपाय किए जाएंगे। इस पैकेज के एक दिन पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक ने भी कई मौद्रिक पहलों की घोषणा की थी।
आरबीआई ने भी दी एक और दवा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अमेरिका एवं यूरोप में जारी मंदी की मार झेल रहे निर्यातकों को कुछ राहत देते हुए उनके बकाया बिलों की ब्याज दर में छूट की अवधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी है।
निर्यातकों को बैंकों की प्रधान उधारी दर (पीएलआर) से 2.5 प्रतिशत कम ब्याज दर पर रुपये में कर्ज उपलब्ध है। मौजूदा समय में निर्यातकों को उक्त सुविधा कर्ज के विलंबित (ओवरडयू) होने की अवधि के बाद 90 दिनों के लिए उपलब्ध है।
रिजर्व बैंक के इस निर्णय के साथ अब निर्यातक कम ब्याज दर पर कर्ज की सुविधा 180 दिनों के लिए उठा सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि कालीन, चाय, हस्तशिल्प क्षेत्रों की हालत पहले ही खराब हो चुकी है। मौजूदा वित्त वर्ष के अक्टूबर में कुल निर्यात 12.1 फीसदी घटकर 12.8 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो इससे पूर्व वर्ष के इसी माह में 14.58 अरब डॉलर था।
किसको मिली, कितनी खुराक
कर में राहत, अतिरिक्त फंड: पैकेज में सेनवैट (एड वैलोरम या मूल्य अनुसार कर) में समान रूप से चार प्रतिशत की कटौती की गई है। ताकि अतिरिक्त परिव्यय को बढ़ावा दिया जा सके। इससे हर तरह की वस्तुओं और सेवाओं के सस्ता होने का रास्ता खुल जाएगा।
बयान में कहा गया कि योजना परिव्यय के जरिए प्रतिचक्रीय प्रोत्साहक प्रदान करने के लिए सरकार ने चालू वर्ष में 20,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त योजना परिव्यय की अनुमति मांगने का निर्णय किया है।
इसमें कहा गया है कि मार्च में समाप्त होने जा रहे चार महीनों में कुल परिव्यय 3,00,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
निर्यातकों पर खास मेहरबानी : निर्यात क्षेत्र की ओर विशेष ध्यान देते हुए सरकार ने मार्च 2009 तक दो प्रतिशत का ब्याज अनुदान (ब्याज सरकारी सहायता) देने का फैसला किया है। यह सहायता कपड़ा, चर्म, समुद्री उत्पाद और एसएमई जैसे श्रम आधारित क्षेत्रों को शिपमेंट से पहले और बाद के निर्यात ऋण के लिए होगी।
रियायत ब्याज के न्यूनतम दर पर निर्भर करेगी। इसके अलावा टर्मिनल उत्पाद शुल्क (सीएसटी) के पूर्ण रिफंड के लिए 1,100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि प्रदान की जाएगी तथा निर्यात सहायता योजनाओं के लिए और 350 करोड़ रुपये देने के साथ ईसीजीसी (एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन) के लिए 350 करोड़ रुपये की बैक-अप गारंटी दी जाएगी ताकि दिक्कतों वाले बाजार एवं उत्पादों में निर्यात के लिए गारंटी प्रदान की जा सके।
बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर भी इनायत: ढांचागत विकास की भी अहमियत समझते हुए सरकार ने इंडियन इंफ्रास्ट्रक्चर फिनांस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) को मार्च 2009 तक कर मुक्त बांड के जरिए 10,000 करोड़ रुपये जुटाने की अनुमति दे देते हुए कहा कि भविष्य में इसे और संसाधन जुटाने की अनुमति दी जाएगी।
विशेष तौर पर यह राहत राजमार्ग क्षेत्र में 1,00,000 करोड़ रुपये की सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) कार्यक्रम को सहायता प्रदान करेगी।
बिल्डरों और खरीदारों को सौगात : रियल एस्टेट क्षेत्र में उछाल के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जल्द ही दो श्रेणियों (पांच लाख तक के ऋण और पांच से 20 लाख तक) के होम लोन लेने वालों के लिए एक पैकेज की घोषणा करेंगे।
कपड़ा उद्योग को मदद: पैकेज में मंदी की मार से तार-तार हो रहे कपड़ा क्षेत्र के लिए अतिरिक्त 1,400 करोड़ रुपये की राशि की व्यवस्था की गई है।
ऑटोमोबाइल में दी रफ्तार: बयान में कहा गया कि सरकारी विभागों को अनुमोदित बजट के भीतर वाहनों को बदलने की अनुमति दी जाएगी ताकि घटती बिक्री से परेशान ऑटो क्षेत्र की मांग में भी तेजी आ सके।
इस्पात उद्योग को भी टेबलेट: पैकेज के तहत सरकार ने लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क को घटा दिया। सरकार ने चूर्ण पर निर्यात शुल्क शून्य प्रतिशत तथा लंप्स पर पांच प्रतिशत कर दिया है।
इस्पात उद्योग मांग में कमी के कारण फिलहाल काफी दबाव में है। फिलहाल लौह अयस्क फाइन्स पर आठ प्रतिशत मूल्यानुसार निर्यात शुल्क लगता है जबकि लंप्स पर यह कर 15 प्रतिशत है।
सरकार झेलेगी साइड इफेक्ट
सेनवैट में चार प्रतिशत कमी के कारण सरकार को अगले साढे तीन महीने में 8,700 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना होगा। साथ ही, इससे देश का राजकोषीय घाटा भी बढ़ेगा।