‘ये कर्मचारी लंबे समय तक और भारी दबाव में रहकर 10,000 रुपये प्रति माह से भी कम कमाते हैं। मैं आपका ध्यान गिग अर्थव्यवस्था (Gig Economy) के कर्मचारियों की दुर्दशा की ओर, खासकर अमेजन इंडिया के कर्मचारियों की ओर दिलाना चाहता हूं। इसमें गोदाम के कर्मचारी और डिलीवरी करने वाले लोग शामिल हैं, जो अनुचित वेतन और असुरक्षित कामकाजी परिस्थितियों के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। अमेजन (Amazon) कंपनी पीएफ और बीमा देने का दावा करती है, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है। ‘ब्लैक फ्राइडे’ के दौरान किया जा रहा विरोध हमारी अर्थव्यवस्था में असमानता और इन कर्मचारियों के शोषण को रेखांकित करता है।’’
कांग्रेस सांसद बी मणिकम टैगोर ने बुधवार को गिग कर्मियों के लिए उचित वेतन, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक लाभ सुनिश्चित करके उनकी रोजगार सुरक्षा के लिए कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। टैगोर ने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाया और गिग कर्मियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला, जिसे उन्होंने श्रमिकों के मुद्दे के बजाय मानवाधिकार का मुद्दा बताया।
गिग अर्थव्यवस्था में काम करने वाले कर्मी वे होते हैं जो अस्थायी तौर पर स्वतंत्र तरीके से एक से अधिक कंपनियों के लिए काम करते हैं। इनमें विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, खानपान आपूर्ति पोर्टल आदि के लिए डिलिवरी का काम करने वाले कर्मी शामिल हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने कर्मचारियों के साथ खड़े हों और सार्थक बदलाव के लिए जोर दें। हमें गिग कर्मचारियों की सुरक्षा, उचित वेतन, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कानून बनाना होगा।’’
कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से काम के घंटों से संबंधित कानूनों का सख्ती से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। थरूर ने कहा, ‘‘कार्य-जीवन संतुलन को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है, क्योंकि इस तरह के संतुलन और मानवीय कार्य स्थितियों के अभाव के कारण एक प्रमुख लेखा प्रतिष्ठान में काम करने वाली युवा सीए अन्ना सेबेस्टियन और भारत के विभिन्न हिस्सों में कई अन्य पेशेवरों की असामयिक मृत्यु हो गई। ये त्रासदियां एक प्रणालीगत विफलता को दर्शाती हैं और हमें उन पेशेवरों की कुशलता के लिए काम करना चाहिए जो हमारे देश की समृद्धि को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें सख्ती से भरे कामकाजी घंटों के लिए कानूनों के क्रियान्वयन को प्राथमिकता देनी चाहिए।’’
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