प्रतीकात्मक तस्वीर
मार्च में 8 प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों के उत्पादन में मामूली वृद्धि हुई है, जिन्हें प्रमुख क्षेत्र कहा जाता है। प्रमुख क्षेत्र का उत्पादन मार्च में मामूली बढ़कर 3.8 प्रतिशत हो गया, जो फरवरी के संशोधित आंकड़ों में 3.5 प्रतिशत था। ज्यादा आधार के कारण प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर कमजोर नजर आ रही है। मार्च 2024 में प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मार्च में प्रमुख क्षेत्र में क्रमिक आधार पर वृद्धि की वजह बिजली (6.2 प्रतिशत), स्टील (7.1 प्रतिशत) और सीमेंट (11.6 प्रतिशत) के उत्पादन में वृद्धि है।
वहीं दूसरी ओर कोयला (1.6 प्रतिशत), रिफाइनरी उत्पादों (0.2 प्रतिशत) और उर्वरक (8.8 प्रतिशत) की वृद्धि की रफ्तार कम हुई है। बहरहाल माह के दौरान कच्चे तेल (-1.9 प्रतिशत) और प्राकृतिक गैस (-12.7 प्रतिशत) का उत्पादन संकुचन के क्षेत्र में बना रहा। कुल मिलाकर वित्त वर्ष 2025 में प्रमुख उद्योगों के उत्पादन की वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही है, जो पिछले 5 साल का न्यूनतम स्तर है। इसके पहले वित्त वर्ष 2021 में प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर -7.8 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2022, वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 में वृद्धि दर क्रमशः 10.4 प्रतिशत, 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत थी।
इक्रा रेटिंग्स में अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि प्रमुख क्षेत्र में वृद्धि दर मुख्य रूप से बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी की वजह से हुई है, जो बढ़ते तापमान के कारण बढ़ा है।
उन्होंने कहा, ‘क्रमिक आधार पर देखें तो उर्वरक, कोयला, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों का उत्पादन फरवरी की तुलना में मार्च में सुधरा है।’ बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के कम उत्पादन के कारण इसमें सुस्ती रही क्योंकि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत कम रही है। उन्होंने कहा, ‘प्राकृतिक गैस के मामले में ज्यादा आयात घरेलू उत्पादन का विकल्प बना है। कम कीमत के साथ रिफाइनरी उत्पादों की वृद्धि 0.2 प्रतिशत पर स्थिर रही है और निर्यात के लिए मांग, कुल मिलाकर उठान पर असर डाल रहा है।’ आठ प्रमुख उद्योगों की औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में हिस्सेदारी करीब 40.27 प्रतिशत है। ऐसे में इनका सूचकांक पर उल्लेखनीय असर पड़ता है।
आंकड़ों से पता चलता है कि औद्योगिक उत्पादन सुस्त होकर फरवरी में 6 माह के निचले स्तर 2.9 प्रतिशत पर आ गया है, जो जनवरी में 5.2 प्रतिशत था। ज्यादा आधार और मांग घटने से यह नीचे आया है। नायर ने कहा, ‘प्रमुख क्षेत्र में प्रसार के आधार पर इक्रा उम्मीद कर रही है कि आईआईपी वृद्धि मार्च 2025 में 3 से 3.5 प्रतिशत के बीच रहेगी।’