सर्वोच्च न्यायालय ने आज एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि आयकर अधिनियम की व्याख्या 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी संशोधित प्रावधानों के साथ की जानी चाहिए। इससे पुनराकलन के करीब 90,000 नोटिस पर इसका असर होगा और राजस्व विभाग को राहत मिलेगी।
न्यायालय ने इस मामले में विभिन्न उच्च न्यायालयों के उन फैसलों को खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि कराधान एवं अन्य कानून (कुछ प्रावधानों में रियायत एवं संशोधन अधिनियम) यानी टीओएलए 2021 नामक कानून आयकर अधिनियम के तहत पुनराकलन नोटिस जारी करने की समय सीमा को नहीं बढ़ा सकता। इन फैसलों के तहत राजस्व विभाग को अपील करने की अनुमति दी गई।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, ‘1 अप्रैल, 2021 के बाद आयकर अधिनियम को संशोधित प्रावधानों के साथ पढ़ा जाना चाहिए। टीओएलए 1 अप्रैल, 2021 के बाद भी लागू रहेगा। टीओएलए की धारा 3(1) आयकर अधिनियम की धारा 149 को खारिज करती है।’
इस मामले में सरकार ने नियमों में बदलाव किया कि कर अधिकारी कितने समय पहले के पुराने रिटर्न पर नए सिरे से गौर कर सकते हैं। इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई क्योंकि दो अलग-अलग तरह के नियम मौजूद थे। एक तरफ पुराने नियम थे तो दूसरी तरफ 1 अप्रैल, 2021 से प्रभावी निमय।
कई करदाताओं को कर नोटिस भी मिले जिसके जवाब में उन्हें मुकदमे दायर करने पड़े। यह दलील दी गई कि इस मामले में परिसीमा कानून लागू होता है और इसलिए राजस्व विभाग के पास 1 अप्रैल, 2021 से आगे कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। विभाग ने इनमें से कुछ मुकदमों को अदालत में चुनौती दी।
सिंघानिया ऐंड कंपनी की पार्टनर ऋतिका नायर ने कहा, ‘अब इस निर्णय से कई ऐसे कर विवाद सुलझ जाएंगे जो दस साल से भी अधिक समय से चल रहे हैं। मगर इसका प्रभाव भी काफी महत्त्वपूर्ण होगा क्योंकि इस फैसले का असर व्यक्तियों एवं कारोबारों के साथ-साथ करीब 90,000 करदाताओं पर पड़ने की उम्मीद है।’
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आशिष अग्रवाल के मामले में दिए गए निर्देश पुरानी व्यवस्था के तहत जारी किए गए सभी 90,000 आकलन नोटिस पर लागू होंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में विभिन्न उच्च न्यायालयों के फैसलों को खारिज कर दिया।