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GST: टैक्स कलेक्शन बढ़ा लेकिन अभी भी कई चुनौतियां बाकी

आईटीसी का लाभ अगला वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद अगले नवंबर तक लिया जा सकता है, मगर उसके बाद दावा नहीं किया जा सकेगा।

Last Updated- June 27, 2024 | 11:06 PM IST
Government treasury increased by 8.5%, GST collection reached Rs 1.82 lakh crore in November सरकार के खजाने में 8.5% का हुआ इजाफा, नवंबर में GST कलेक्शन 1.82 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचा

वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली कमोबेश वित्तीय तंत्र में अधिक सहजता के साथ अपनी जगह बना चुकी है। जीएसटी प्रणाली के अस्तित्व में आने के लगभग सात वर्ष बाद कर संग्रह से जुड़े आंकड़े में निरंतर बढ़ोतरी इसी का संकेत दे रही है।

मगर इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के सामने अब भी कई चुनौतियां हैं। अग्रिम निर्णय प्राधिकरण (एएआर) के विरोधाभासी आदेश, अपील से जुड़ा ढांचा तैयार होने में देरी और कर संबंधी बढ़ते विवाद जीएसटी प्रणाली की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।

कर राजस्व बढ़ने के साथ ही जीएसटी में अगले चरण के सुधार या जीएसटी 2.0 की तरफ बढ़ने की जरूरत महसूस होने लगी है। मगर दरें तर्कसंगत बनाने और पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से जुड़े सुधारों में थोड़ी देर हो सकती है।

जीएसटी प्रणाली प्रभाव में आने के पहले वर्ष 2017-18(जुलाई-मार्च) में औसत मासिक संग्रह 90,000 करोड़ रुपये था, मगर बाद में यह आंकड़ा बढ़ता गया। वर्ष 2023-24 में औसत मासिक संग्रह 87 फीसदी की भारी भरकम बढ़ोतरी के साथ 1.68 लाख करोड़ रुपये हो गया।

यह बात उठ सकती है कि ये आंकड़े महंगाई की गणना किए बिना केवल वर्तमान मूल्यों को दर्शाते हैं। ऐसे में यह तर्क दिया जाना स्वाभाविक है कि जीएसटी संग्रह के बढ़ते आंकड़े वास्तविक स्थिति की सही तस्वीर पेश नहीं करते हैं। इस चिंता का समाधान यह है कि जीएसटी को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के अनुपात के संदर्भ में देखा जाए। हालांकि, यह अनुपात भी बढ़ा है।

जीएसटी लागू होने के पहले पूरे साल में यह अनुपात 6.23 फीसदी था, जो 2023-24 में बढ़कर 6.83 फीसदी हो गया। मगर यह भी कहा जा सकता है कि यह बढ़ोतरी अधिक नहीं मानी जा सकती। इसका कारण यह है कि अधिक राजस्व अर्जित करने वाली पेट्रोल एवं डीजल जैसी वस्तुएं जीएसटी की जद से बाहर रखी गई हैं।

केंद्र सरकार पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी में लाने के पक्ष में है मगर राज्य इसके लिए राजी नहीं हो रहे हैं। पेट्रोलियम एवं डीजल पर बिक्री कर/वैट लगाने से प्राप्त होने वाले राजस्व की हिस्सेदारी 2022-23 तक के पिछले पांच वर्षों के दौरान 16.17 फीसदी रही है। केंद्र सरकार के लिए ये दोनों ही कर राजस्व के बड़े स्रोत हैं। फिलहाल कच्चे तेल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस आदि पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है।

पेट्रोलियम पदार्थों, खासकर, पेट्रोल एवं डीजल को जीएसटी में शामिल करने के अलावा कर श्रेणियों में कमी करना भी एक महत्त्वपूर्ण सुधार है, जो पिछले कुछ वर्षों से विचाराधीन है। फिलहाल जीएसटी प्रणाली में चार श्रेणियां-5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी- हैं। इनके अलावा महंगी एवं भोग-विलास की वस्तुओं पर जीएसटी के अलावा उपकर भी लगता है।

केंद्र एवं राज्य सरकारें राजस्व पर संभावित असर पर गंभीरता से विचार किए बिना इन विषयों पर आनन-फानन में कोई निर्णय नहीं लेना चाहती हैं। बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में एक विशेषाधिकार प्राप्त समिति जीएसटी दरें तर्कसंगत बनाने पर गौर कर रही है।

एएआर में सुधार

एएआर के विरोधाभासी निर्णय और अपील ढांचे के प्रभावी होने में देरी से जीएसटी प्रणाली के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं। ऐसे कई मौके आए हैं जब कर्नाटक एएआर के निर्णय अलग-अलग रहे हैं।

उदाहरण के लिए कर्नाटक स्थित एएआर ने आदेश दिया था कि किसी कंपनी के कार्यकारी निदेशक को जीएसटी नहीं देना होगा, मगर गैर-कार्यकारी निदेशकों की आय रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के अंतर्गत कर योग्य होगी।

आरसीएम के अंतर्गत वस्तु एवं सेवा के प्राप्तकर्ताओं को जीएसटी चुकाना पड़ता है। इस आदेश के बाद विवाद पैदा हो गया क्योंकि दूसरे राज्यों के एएआर ने कहा था कि सभी निदेशकों को जीएसटी का भुगतान करना होगा। खाद्य वस्तुओं पर भी ऐसे ही विरोधाभासी आदेश आए हैं। अपील ढांचा प्रभावी नहीं होने से भी जीएसटी प्रणाली प्रभावित हो रही है।

कर एवं सलाहकार कंपनी एकेएम ग्लोबल में पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा, ‘न्यायाधिकरणों के लिए अपील ढांचा लागू नहीं होने से भी जीएसटी तंत्र के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। इसे देखते हुए न्यायाधिकरणों में विचाराधीन मामलों के समाधान की दिशा तेजी से काम करना होगा क्योंकि बाद में ऐसा करना आसान नहीं रह जाएगा।’

इनपुट टैक्स क्रेडिट

इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लेने पर लगी पाबंदी से भी जीएसटी प्रणाली में उलझन बढ़ रही है। आईटीसी का लाभ अगला वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद अगले नवंबर तक लिया जा सकता है, मगर उसके बाद दावा नहीं किया जा सकेगा। एक दूसरा विषय यह है कि विक्रेता फॉर्म जीएसीटीआर1 में नहीं दर्शाए जाने पर क्रेडिट मांगने का दावा नहीं किया जा सकता भले ही करदाता ने कर भुगतान क्यों न किया हो।

रस्तोगी चैंबर्स के अभिषेक रस्तोगी कहते हैं, ‘करदाताओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वेंडरों द्वारा नियमों का पालन नहीं होने की स्थिति में प्राप्तकर्ता को मिले क्रेडिट वापस ले लिए जाते हैं।’ इन अड़चनों को देखते हुए कारोबारी इकाइयां जीएसटी में अगले चरण के सुधार या जीएसटी 2.0 की मांग कर रहे हैं।

First Published - June 27, 2024 | 10:43 PM IST

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