अगले दो महीनों में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ढांचे में कई तकनीकी बदलाव किए जाएंगे। तकनीक के स्तर पर इन बदलावों का मकसद मौजूदा जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) प्रणाली को सुदृढ़ करना और इसमें सुधार लाना है। रिटर्न फॉर्म में पूरा बदलाव करने के बजाय अब पहले उन खामियों पर ध्यान दिया जाएगा, जिन्हें आसानी से दूर जा सकता है। ये सुधार मौजूदा ढांचे में चरणबद्ध तरीके से किए जाएंगे, जिससे करदाताओं को कम से कम परेशानी होगी। इस कदम का मकसद और कर अनुपालन बढ़ाना, कर चोरी रोकना और इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना है। इससे पहले जीएसटी कर प्रणाली सरल बनाने के लिए एक सरल जीएसटी रिटर्न फॉर्म का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन सूचना-प्रौद्योगिकी के स्तर पर तैयारी पूरी नहीं होने के कारण मार्च में जीएसटी परिषद ने इस ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
प्रस्तावित बदलावों में ई-इन्वॉयसिंग, तिमाही आधार पर कर दाखिल करने का प्रावधान, रिटर्न फॉर्म का लिंक, फॉर्म का ऑटो-पॉप्यूलेशन (स्वत: आंकड़े भरे जाने की सुविधा), इनपुट टैक्स क्रेडिट का निर्धारण और खरीदार और आपूर्तिकर्ता के बीच संवाद की व्यवस्था शामिल हैं। रिटन्र्स एन्हासमेंट ऐंड एडवांसमेंट प्रोजेक्ट (रीप) के तहत जीएसटी प्रणाली में कार्यात्मक बदलाव लाने के लिए 60 तकनीकी पेशवेरों की एक टीम तेजी से काम कर रही है। खरीदार और आपूर्तिकर्ताओं के बीच संवाद माध्यम स्थापित करने पर भी काम चल रहा है, जिससे कर अनुपालन बढ़ाया जा सकेगा।
इन पूरी तैयारियों पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट का अनुचित दावा करने से रोकने के लिए खरीदार-आपूर्तिकर्ता के बीच संवाद प्रणाली स्थापित की जाएगी। इससे खरीदार को यह जानने में मदद मिलेगी कि वह जिस आईटीसी के लिए वह दावा कर सकता है वह आपूर्तिकर्ता द्वारा भुगतान किए गए कर पर आधारित है या नहीं। बिल अपलोड नहीं होने की स्थिति में खरीदार वेंडर पर इसके लिए दबाव बना सकेगा।’ आईटीसी का लाभ लेने के लिए एक नया जीएसटीआर 2बी फॉर्म लाए जाने की भी योजना है। इस फॉर्म से कर चोरी और धोखाधरी रोकने में मदद मिलेगी। मौजूदा प्रणाली के तहत इनपुट टैक्स का दावा स्व-घोषणा के आधार पर किया जाता है, जिस वजह से कई बार अनियमितताएं देखने में आई है। नई प्रणाली में जीएसटीआर 2बी दो निर्धारित तिथियों के बीच सौदे के आपूर्तिकर्ताओं द्वारा किसी एक महीने में जीएसटीआर 3 में क्रेडिट का लाभ लेने के लिए दाखिल जीएसटीआर 1 के आधार पर किया जाएगा।
यह कवायद सितंबर तक तैयार हो जाएगी और जीएसटी परिषद की अनुमति के बाद लागू की जाएगी। जीएसटीआर 1 और जीएसटीआर 3बी एक दूसरे से जुड़े होंगे और इससे करदाताओं को कर देनदारी सुनिश्चित करने में आसानी होगी। जीएसटी के तहत आईटी पर मंत्रियों के समूह की अध्यक्षता करने वाले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया, ‘नई कर रिटर्न दाखिल करने वाली प्रणाली से खरीदारों को उन आपूर्तिकतार्ओं की पहचान करने में मदद मिलेगी, जो अनुपालन नहीं करते हैं और उन पर रिटर्न दाखिल करने के लिए दबाव बना सकते हैं।’
