बीएस बातचीत
आर्थिक गतिविधि में सुधार से प्रत्यक्ष कर संग्रह में सुधार की उम्मीद जगी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष पीसी मोदी ने दिलाशा सेठ के साथ बातचीत में कहा कि अक्टूबर तक फेसलेस प्रक्रिया के जरिये 58,000 मामलों का आकलन पूरा कर लिया जाएगा। इस प्रक्रिया ने प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को समाप्त कर दिया है और व्यक्तिगत विवेक का स्थान टीम आधारित आकलन ने ले लिया है। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आई है जिससे करदाताओं का उत्पीडऩ समाप्त होगा। पेश हैं मुख्य अंश:
अर्थव्यवस्था में इस साल मंदी रहने की आशंका है, ऐसे में प्रत्यक्ष कर संग्रह की स्थिति कैसी रहेगी? क्या आपको इस साल कम से कम पिछले साल के 10.58 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है जबकि इस साल का लक्ष्य 13.1 लाख करोड़ रुपये का है?
फिलहाल हम उसके बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। मैं इतना कह सकता हूं कि हां, महामारी का असर हुआ है लेकिन संग्रह की स्थिति काफी अच्छी है। पिछले साल के मुकाबले हम बहुत खराब स्थिति में नहीं हैं। उसमें केवल 20 फीसदी की कमी आई है। लेकिन जिस तरह से आर्थिक गतिविधि शुरू हो रही है, मुझे पूरा भरोसा है कि दिनोंदिन स्थिति बेहतर होती जाएगी। हम उम्मीद कर रहे हैं कि दूसरी छमाही अच्छी होगी। सबसे बड़ी बात है कि आर्थिक गतिविधि में सुधार हो रहा है जिससे हमें उम्मीद बंधती है। जीएसटी संग्रह एक अच्छा मापक है जिसमें जून में तेजी दर्ज की गई। हालांकि, लक्ष्य के संबंध में टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी।
अब तक फेसलेस आकलन का क्रियान्वयन कैसा रहा है?
आयकर विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 58,000 मामलों में से 8,000 का निपटान फेसलेस आकलन के तहत किया गया है और 300 मामलों में अतिरिक्त कर की मांग की गई।
पहले की प्रक्रिया प्रादेशिक क्षेत्राधिकार वाली थी जिसमें व्यक्तिगत अधिकारी ही आकलन के लिए सब कुछ होता था। उसे किस आधार पर निर्णय लेना है, उसके लिए केवल वही जिम्मेदार था। उसके पास काफी विवेकाधिकार था। अब हम इस फेसलेस आकलन योजना को लाकर सभी चीजों को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। हमने एक राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र (एनईएसी) बनाया है जो केंद्र बिंदु होगा। करदाता के साथ जो भी संवाद होना है वह इसी एनईएसी से होगा। यह देश भर में फैली विभिन्न आकलन इकाइयों को अचानक मामले आवंटित करता है। इसने अब अपना काम शुरू कर दिया है। ये आकलन इकाई करदाता के साथ प्रत्यक्ष तौर पर संवाद नहीं करेंगी। वे केवल एनईएसी के माध्यम से ही बात कर सकती हैं।
इस प्रक्रिया से अधिकारियों के स्तर पर करदाताओं का उत्पीडऩ कैसे रुकेगा?
सबसे पहले महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पहले की प्रादेशिक आधार के बजाय अब मामलों का आवंटन अचानक से किया जाता है। दूसरा, ये आकलन इकाई व्यक्तिगत अधिकारी केंद्रित न होकर टीम आधारित हैं। टीम में आकलन अधिकारी, अतिरिक्त आयुक्त और मुख्य आयुक्त होते हैं।
व्यक्तिगत विवेक से निर्णय लेने की व्यवस्था समाप्त हो चुकी है। हम मामलों को प्रदेशों से दूर कर रहें हैं और एक व्यक्ति के स्थान पर तीन व्यक्ति मामले पर अपना दिमाग लगा रहे हैं जिससे उसमें अधिक निष्पक्षता आएगी। संवाद केवल ईमेल के जरिये किया जाता है जिससे व्यक्ति से प्रत्यक्ष सामना नहीं होता है। एक बार जवाब आ जाने पर आकलन इकाइयों में उसका परीक्षण किया जाता है।
58,000 मामलों के फेसलेस आकलन की समय सीमा क्या है, क्योंकि अब तक 8,000 मामलों का ही निपटारा किया जा सका है?
हम जितनी जल्दी हो सके, इसे पूरा करने का प्रयास करेंगे, संभवत: अक्टूबर तक यह पूरा हो जाए। इस प्रक्रिया को डिजिटल मीडिया के जरिये किए जाने से अब हरेक चीज का परीक्षण किया जा सकता है। हम इस बात को पता करने में सक्षम होंगे कि किसी मामले में अनावश्यक देरी क्यों हो रही है और उसकी जांच कर सकते हैं।