दक्षिण पश्चिमी मॉनसून समाप्ति की ओर बढ़ रहा है। 2021 में बारिश असमान रही और सितंबर में जोरदार बारिश के साथ महीने के शुरुआती 15 दिन में सामान्य से ऊपर बारिश हुई है। मौसम विभाग ने अनुमान लगाया है कि सितंबर में बारिश दीर्घावधि औसत का 110 प्रतिशत हो सकता है। सितंबर का एलपीए 179 मिलीमीटर है।
पहले जून महीने में और फिर अगस्त में मॉनसून में लंबे ठहराव के कारण खरीफ की फसल की बुआई शुरुआती चरण में प्रभावित हुई है। हालांकि बाद में बारिश के गति पकडऩे से स्थिति में सुधार हुई। आगे अब सबकी नजर खरीफ की फसलों के अंतिम उत्पादन, खासकर दलहन और तिलहन पर है। इन्हीं फसलों के आधार पर आने वाले महीनों में कीमतों का अनुमान लगेगा और भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई का अनुमान पेश करेगा।
केंद्र का मानना है कि नई फसल बाजार में आ जाने पर दोनों जिंसों की महंगाई पर दबाव कम होगा। वहीं व्यापार और बाजार के सूत्रों का कहना है कि स्थिति बहुत आसान नहीं होगी। केंद्र सरकार ने प्रमुख खाद्य तेलों पर एक और बार आयात शुल्क में कटौती की है और दलहल के आयात की अवधि दिसंबर तक बढ़ा दी है, जो पहले अक्टूबर तय की गई थी। शुक्रवार को कहा गया कि 8 तरह के खाद्य तेलों के दाम में देश के थोक बाजारों में पिछले सप्ताह की तुलना में कमी आई है। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के कदमों और जमाखोरी पर रोक लगाने के बाद उसका असर हुआ है।
एक बयान में कहा गया है कि मूंगफली, सरसों तेल, वनस्पति, सूरजमुखी तेल, पाम तेल, नारियल तेल और तिल तेल की कीमतों में 14 सितंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान गिरावट दर्ज की गई है। धान का उत्पादन सामान्य से थोड़ा कम रहने की संभावना है, लेकिन इसका कीमतों पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि गोदामों में पर्याप्त धान है।
खरीफ के तिलहन में सोयाबीन और मूंगफली का हिस्सा उत्पादन और बुआई के रकबे के हिसाब से सबसे ज्यादा होता है। हालांकि तेल के सालाना खपत में घरेलू उत्पादन ही हिस्सेदारी कम होती है और भारत बड़ी मात्रा में आयात पर निर्भर है, लेकिन अगर घरेलू उत्पादन में थोड़ी सी भी कमी आती है तो पहले से ही तेज बाजार धारणा और प्रभावित होगी और स्थानीय बाजारों में कीमतें बढ़ जाएंगी।