वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की फिटमेंट समिति यूटिलिटी वाहनों पर कर तय करने के मकसद से ग्राउंड क्लियरेंस का पैमाना और उसे लागू करने का तरीका स्पष्ट कर सकती है। फिटमेंट समिति में केंद्र और राज्यों के राजस्व अधिकारी शामिल होते हैं।
यूटिलिटी वाहनों पर 22 फीसदी मुआवजा उपकर (compensation cess) लगाने के लिए तीन प्रमुख शर्तें तय की गई हैं, जिनमें ग्राउंड क्लियरेंस यानी सड़क से वाहन के निचले हिस्से या चैसि का फासला भी शामिल है।
जीएसटी परिषद ने जुलाई की अपनी बैठक में वाहन की इंजन क्षमता, लंबाई और ग्राउंड क्लियरेंस के पैमानों पर खरे उतरने वाले एसयूवी तथा एमयूवी सहित सभी तरह के यूटिलिटी वाहनों पर 22 फीसदी मुआवजा उपकर लगाने का निर्णय किया था। इन वाहनों को कोई भी नाम दिया जाए, कर इसी दर से लगेगा। परिषद ने वाहन का ग्राउंड क्लियरेंस मापने या अधिक उपकर लगाने के लिए सवारी या सामान लादे बगैर उसके वजन को भी पैमाना बनाने की इजाजत दी थी।
मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ग्राउंड क्लियरेंस के पैमाने में कुछ दिक्कत हैं, जिन्हें स्पष्ट करना होगा। फिटमेंट समिति इस बारे में सुझाव दे सकती है और उसके अनुरूप अंतिम नियम की अधिसूचना जारी होगी।’
वाहन उद्योग के संगठन सायम और कार कंपनियों ने ग्राउंड क्लियरेंस और उसे मापने तथा लागू करने के मसले पर चिंता जताई थी और कुछ सुझाव भी दिए थे। माना जा रहा है कि उसी के बाद फिटमेंट समिति इस पर स्थिति स्पष्ट कर सकती है।
सूत्रों ने कहा कि वाहन उद्योग को सवारी या सामान के बगैर ग्राउंड क्लियरेंस की शर्त से चिंता है क्योंकि उसकी वजह से उन्हें कार के मौजूदा मॉडलों में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। ऐसे में कंपनियों के लिए खर्च बढ़ जाएगा।
उक्त अधिकारी ने कहा, ‘कुछ कंपनियों ने सवारी या सामान के बगैर नहीं बल्कि उन्हें लादने के बाद ग्राउंड क्लियरेंस मापने की सलाह दी है। सवारी या सामान लादने के जमीन से चैसि की दूरी यानी ग्राउंड क्लियरेंस 150 से 160 मिलीमीटर ही रह जाता है, जो 170 मिमी की तय सीमा से कम है।’
जब वाहन में सवारी या सामान नहीं लदा होता है तो उसके वजह में वाहन की बॉडी और बाकी सभी सामान्य पुर्जे ही शामिल होते हैं। सवारी या सामान लादते ही उसका वजन काफी बढ़ जाता है।
मौजूदा परिभाषा कहती है कि वाहन के टायर और चैसि के निचले हिस्से के बीच का फासला ग्राउंड क्लियरेंस कहलाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो सपाट या समतल सतह और जमीने से लगने वाले हिस्सों (जैसे टायर, ट्रैक, स्की आदि) के अलावा वाहन के किसी भी अन्य हिस्से के बीच की न्यूनतम दूरी ग्राउंड क्लियरेंस कहलाती है।
उद्योग के एक सूत्र ने अधिक खुलासा किए बिना कहा, ‘हम यूटिलिटी वाहनों के लिए नए कर ढांचे में मौजूद कुछ समस्याओं पर वित्त मंत्रालय से बात कर रहे हैं। परिषद द्वारा तय कुछ पैमानों को स्पष्ट किए जाने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा कि सवारी बिठाए बगैर ग्राउंड क्लियरेंस के नियम से कुछ कार मॉडलों को नया प्रमाणपत्र जारी करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि स्कोडा, साल्विया जैसी सिडैन कारों पर अधिक उपकर नहीं लगता। मझोले आकार के सभी एसयूवी और एमयूवी पर भी 15 फीसदी उपकर ही लगता था।