केंद्र सरकार राज्यों को वैश्विक दक्षता केंद्र (जीसीसी) स्थापित करने में मदद के लिए जल्द ही दिशानिर्देश जारी करने वाली है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इससे राज्यों को अपने यहां खास तौर पर मझोले और छोटे शहरों में वैश्विक दक्षता केंद्र स्थापित करने में मदद मिलेगी।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय देश में जीसीसी स्थापित करने के मसले पर फॉर्च्यून 500 और फॉर्च्यून 100 कंपनियों तथा मझोली फर्मों के वरिष्ठ अधिकारियों एवं सरकारी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है। बातचीत में तीन तरह से काम करने पर विचार हो रहा है।
एक अधिकारी ने कहा कि सबसे पहले यह समझा जाएगा कि जीसीसी स्थापित करने जा रही कंपनी को तकनीकी डिग्री और विशेषज्ञता वाली कैसी प्रतिभाओं की जरूरत है तथा प्रतिभा भंडार तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘अगर हवाई जहाज के इंजन बनाने वाली कोई कंपनी भारत में जीसीसी बनाना चहती है तो उसे सॉफ्टवेयर की गहरी जानकारी रखने वाले लोग नहीं चाहिए। उसे सॉफ्टवेयर की कामचलाऊ जानकारी मगर मेटालर्जिकल, मैकेनिकल या एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में माहिर लोग चाहिए। हम जीसीसी लगाने जा रही कंपनियों से बात करेंगे और समझेंगे कि उनकी जरूरत क्या है।’
अधिकारी ने बताया कि उसके बाद राज्यों में काम करने जा रहे जीसीसी को जरूरी मंजूरियां और प्रोत्साहन दिलाने के लिए सभी राज्यों को एक साथ लाया जाएगा। इसके लिए पोर्टल बनाया जाएगा, जिसमें सभी आवेदनों को एक ही जगह मंजूरी मिल जाएगी। उन्होंने बताया, ‘यह वैसे ही होगा, जैसे दूरसंचार कंपनियों को मंजूरी देने के लिए सभी राज्यों को साथ लेकर पोर्टल बनाया गया था। वहां सात दिन के बजाय एक ही दिन में मंजूरी दे दी जाती थी। हम वैसा ही कुछ करना चाहते हैं।’
तीसरे स्तर पर सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय राज्यों और जीसीसी के साथ मिलकर इन केंद्रों के लिए सही प्रतिभा जुटाएगा और सभी की अनुसंधान-विकास (आरऐंडडी) क्षमताएं साथ मिलाएगा। अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों मे अनुसंधान पार्क स्थापित करने के विचार की ही तरह हम जीसीसी और राज्य सरकारों से बात करके देखेंगे कि जीसीसी के भीतर आरऐंडडी केंद्र बनाने की कितनी जरूरत है।’
2025-26 के आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को मझोले शहरों में वैश्विक दक्षता केंद्र स्थापित करने की राह दिखाने के लिए दिशानिर्देश लाने की घोषणा की थी।
अधिकारियों के मुताबिक भारत में फिलहाल 1,700 से अधिक जीसीसी हैं, जिनकी संख्या साल के अंत तक 2,000 तक पहुंच जाने की उम्मीद है। विजमैटिक के मुताबिक भारत में 30 जीसीसी सालाना 1 अरब डॉलर से अधिक कमाते हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 24 ही था। देश में 24 जीसीसी की सालाना आमदनी 1 अरब डॉलर से ज्यादा थी।