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शुल्क से इतर बाधाएं हटाएगी सरकार; निर्यातकों के लिए बनेगी विशेष समिति, पोर्टल भी होगा शुरू!

निर्यातकों की मदद के लिए सरकार शुल्क के अलावा आने वाली अड़चनें दूर करने के लिए भिड़ा रही जुगत

Last Updated- July 14, 2024 | 10:24 PM IST
वस्तुओं का निर्यात दूसरी तिमाही में 4.2 प्रतिशत बढ़कर 111.7 अरब डॉलर रहने का अनुमान Exports of goods are estimated to increase by 4.2 percent to $ 111.7 billion in the second quarter

निर्यातकों को शुल्क के अलावा आने वाली बाधाओं (नॉन-टैरिफ बैरियर) से होने वाली दिक्कतें दूर करने की जुगत भिड़ाई जा रही है। सरकार इसके तहत एक समिति बनाने और पोर्टल शुरू करने की तैयारी में है, जो निर्यातकों के सामने आने वाली ऐसी समस्याएं दूर करने के लिए काम करेगा। नॉन टैरिफ बैरियर व्यापार पर शुल्क के अलावा लगने वाली बंदिशें हैं, जो कई देश अपने आर्थिक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर लगाते हैं। इनमें नियामकीय मंजूरी, कर एवं शुल्क आदि शामिल होते हैं।

निर्यातकों और आयातकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में शुल्क की दिक्कत से ही नहीं जूझना पड़ता। शुल्क के अलावा दूसरी कवायदों जैसे दस्तावेज से संबं​धित प्रक्रियाएं, वस्तुओं की जांच और प्रमाणन, गुणवत्ता, आयात संबंधी पाबंदियों, मौसमी शुल्क, टैरिफ कोटा या सार्वजनिक खरीद प्रणाली आदि भी उनके लिए रुकावट की तरह होती हैं। नॉन टैरिफ बैरियर को आम तौर पर अनुचित और आयातकों से भेदभाव करने वाला माना जाता है।

एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने कहा, ‘नॉन टैरिफ बैरियर देखने के लिए एक समिति गठित की गई है। कई बार ऐसी बाधाओं में हमारी तरफ से कुछ सुधार या बदलाव की जरूरत होती है और कई बार व्यापारिक भागीदारों के साथ बातचीत करनी होती है। सरकार इस समस्या का समाधान करने के लिए श्रेष्ठ तरीका तलाशने का प्रयास कर रही है।’

उक्त अ​धिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘समिति विस्तृत विश्लेषण भी करेगी और यह समझने का प्रयास करेगी कि व्यापारिक भागीदारों द्वारा लागू किए गए कायदे विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप हैं या नहीं। यह भी देखेगी कि भारत ने इस पर बीते समय में आप​त्ति जताई है या नहीं। अगर नियम विश्व व्यापार संगठन के अनुरूप है और अन्य देश उसका पालन कर रहे हैं तो देखा जाएगा कि इस चुनौती से निपटने के लिए भारत अपनी प्रणाली में बदलाव कर सकता है या नहीं।’

इससे द्विपक्षीय या क्षेत्रीय स्तर पर मुद्दों को उठाने में उद्योग के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी। सरकार व्यापार से आंकड़े जुटा रही है और अभी तक करीब 200 नॉन टैरिफ बैरियर की पहचान की है। अ​धिकारी ने आगे कहा कि सरकार की अगले कुछ महीनों में नॉन टैरिफ बैरियर से संबं​धित एक ऑनलाइन पोर्टल भी लाने की योजना है।

उन्होंने कहा, ‘पोर्टल पर सभी निर्यातक नॉन टैरिफ बैरियर की ​शिकायत दर्ज कर सकेंगे। इस पोर्टल को लाने का मकसद निर्यातकों के समक्ष वि​भिन्न देशों में आने वाली चुनौतियों का पता लगाना है। इसके बाद यह देखा जाएगा कि उक्त नियम विश्व व्यापार संगठन के अनुकूल हैं या नहीं। यह किसी खास कंपनी की दिक्कत है या कई निर्यातकों को इससे जूझना पड़ रहा है। उसके बाद समिति हस्तक्षेप के उपायों पर विचार करेगी।’

आम तौर पर नॉन टैरिफ बैरियर दूर करने में कई साल लग जाते हैं। पोर्टल से यह भी पता चल सकेगा कि यह समस्या कितनी पुरानी है और इस पर व्यापारिक भागीदारों से कितनी बार चर्चा की गई।

निर्यातकों के संगठन फियो के महानिदेशक और मुख्य कार्या​धिकारी अजय सहाय ने कहा कि समिति का गठन महत्त्वपूर्ण है क्योंकि निर्यातकों को नॉन टैरिफ बैरियर के बारे में अक्सर तब पता नहीं होता, जब विश्व व्यापार संगठन में उसकी जानकारी नहीं दी जाती।

First Published - July 14, 2024 | 10:24 PM IST

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