गोल्डमैन सैक्स ने कहा है कि इस साल महंगाई दर 11.5 फीसदी रहने की संभावना है, पहले उसने यह दर 10 फीसदी रहने की संभावना व्यक्त की थी।
लेकिन उसने ग्रोथ को लेकर की गई अपना आकलन 7.8 फीसदी ही रखा है और उसमें कोई बदलाव नहीं किया है। आर्थिक गतिविधियों के बारे में सैक्स का कहना है कि यह धीमे होने के बजाए एक कमजोर गति से अग्रसर रहेगा।
रिपोर्ट में बढ़ती तेल कीमतें, मानसून और राजनीतिक अनिश्चितता को अहम जोखिमों के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और किसान कर्ज माफी समेत छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू हो जाने पर मांग के स्थिर होने की संभावना ज्यादा है।
रिपोर्ट में मौद्रिक नीति के भी इस साल सख्त रहने के आसार जताए गए हैं। जबकि 2009 से फिर नरमी रहने की बात बताई है। सैक्स यह उम्मीद जता रहे हैं कि अक्टूबर के अंत तक रिजर्व बैंक फिर से रेपो रेट और सीआरआर दरों में 50 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसदी का इजाफा कर सकता है। जबकि वित्तीय वर्ष 2009 में फिर से थोड़ा विराम ले सकती है।
रिपोर्ट में भारतीय सकल घरेलू उत्पाद को कम कर आंका गया है। कहने का मतलब कि कमजोर निवेशीय परिदृश्य जो ज्यादा ब्याज दरों के कारण हुई हैं के कारण इसे 8.2 फीसदी से 7.2 फीसदी आंका गया है। जबकि 2009-10 के लिए महंगाई दर 5.3 फीसदी करके आंका गया है। इससे पहले सैक्स का आकलन 4.7 फीसदी आया था। इस बारे में गोल्डमैन सैक्स के एशिया इकॉनामिक रिसर्च के वाइस चेयरमैन तुषार पोद्दार का कहना है कि हम इस बात की आशा कर रहे हैं कि निवेश संबंधित मांग धीमे रहने के बजाए एक स्थिर गति से गतिमान रह सकते हैं।