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ग्लोबल ट्रेड तनाव से बढ़ेगी महंगाई, भारत में एफडीआई और डॉलर निवेश में गिरावट: आरबीआई रिपोर्ट

ट्रंप की व्यापार नीतियों से दुनिया की आर्थिक रफ्तार धीमी होने की आशंका, भारत में शुद्ध एफडीआई घटकर 1.4 अरब डॉलर, डॉलर भेजने में भी कमी

Last Updated- March 19, 2025 | 10:38 PM IST
Inflation

अर्थव्यवस्था की स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से शुल्क की जंग के कारण बढ़े व्यापारिक तनाव से वैश्विक वृद्धि पर असर पड़ सकता है और इससे महंगाई बढ़ सकती है।

अनुमानों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरी तरह से शुल्क युद्ध की स्थिति में अमेरिका में कीमत 1.0 से 1.2 प्रतिशत तक बढ़ सकती है और इससे 2025 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 0.6 प्रतिशत घटेगी व दीर्घावधि के हिसाब से अमेरिकी अर्थव्यवस्था 0.3 से 0.4 प्रतिशत घट जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘व्यापार युद्ध और बढ़े शुल्क से वृद्धि पर विपरीत असर पड़ेगा और इससे महंगाई को बल मिलेगा। इससे न केवल सीधे शामिल देश प्रभावित होंगे, बल्कि कुल मिलाकर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ेगा।’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वित्तीय बाजार वैश्विक वृद्धि में अपेक्षित मंदी का आकलन कर रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि17 मार्च 2025 तक डॉलर ने नवंबर 2024 के मध्य तक के अपने सभी लाभ गंवा दिए हैं, जो अमेरिकी व्यापार नीति और विकास अनिश्चितताओं से प्रभावित हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की भीतरी मजबूती के बावजूद बाहरी अशांत वातावरण का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में नजर आ रहा है।

शुद्ध एफडीआई घटा

वित्त वर्ष 2024-25 के शुरुआती 10 महीने (अप्रैल 2024 से जनवरी 2025) में भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटकर 1.4 अरब डॉलर रह गया है, जो एक साल पहले 11.5 अरब डॉलर था। भारत से ज्यादा धन विदेश भेजे जाने के कारण ऐसा हुआ है। इस दौरान सकल एफडीआई12.4 प्रतिशत बढ़कर 67.7 अरब डॉलर हो गई है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 60.2 अरब डॉलर थी। रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में प्रत्यक्ष निवेश करने वालों द्वारा प्रत्यावर्तन/विनिवेश 2024-25 के 10 महीने की अवधि के दौरान बढ़कर 46.1 अरब डॉलर हो गया, जो अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 में 36.9 अरब डॉलर था।

विदेश में गया कम धन

वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल से जनवरी के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत विदेश भेजा गया धन सालाना आधार पर 8.64 प्रतिशत घटकर 25.05 अरब डॉलर रह गया, जो एक साल पहले 27.42 अरब डॉलर था। प्रमुख सेग्मेंट में आई गिरावट के कारण ऐसा हुआ है।

फॉरवर्ड में शॉर्ट पोजिशन बढ़ी

रिजर्व बैंक का फॉरवर्ड बुक में शुद्ध शॉर्ट पोजिशन एक बार फिर बढ़ी है और यह जनवरी के आखिर में 77.5 अरब डॉलर हो गया है, जो दिसंबर के अंत में 67.9 अरब डॉलर था। हाजिर बाजार में रिजर्व बैंक की जनवरी में शुद्ध बिकवाली 11.1 अरब डॉलर रही।

First Published - March 19, 2025 | 10:38 PM IST

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