भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र ने गुरुवार को मौद्रिक नीति संचार पर अपने भाषण में कहा कि दरों में बढ़ोतरी के दौरान केंद्रीय बैंकों द्वारा अग्रिम मार्गदर्शन उतना प्रभावी नहीं हो सकता जितना कि कमी किए जाने के दौरान होता है। रिजर्व बैंक द्वारा आयोजित ‘ग्लोबल साउथ में केंद्रीय बैंकों के उच्च-स्तरीय नीति सम्मेलन’ के दौरान भाषण में पात्र ने यह कहा, जिसे शुक्रवार को वेबसाइट पर अपलोड किया गया।
पात्र ने कहा, ‘बहुत कम नीतिगत दरों की स्थिति में अग्रिम मार्गदर्शन निस्संदेह प्रभावी साबित हुआ है, लेकिन उच्च दरों की स्थिति में इसका प्रभाव सवालों के घेरे में है। यह असममिक प्रकृति के अनुरूप है। नीचे की ओर जाने का निचला दायरा है, लेकिन ऊपरी सीमा तय नहीं है।’
सम्मेलन में बोलते हुए 21 नवंबर को पात्र ने कहा, ‘संचार का उच्चतम स्तर सभी केंद्रीय बैंकरों के लिए सर्वोच्च मानक बना हुआ है। बहुत ज्यादा होने पर सिगनल एक्सट्रैक्शन की समस्या हो सकती है, जबकि बहुत कम होने पर इससे बाजार अमंजस में रह सकता है।’
पात्रा ने चेतावनी देते हुए कहा कि मौद्रिक नीति 98 प्रतिशत बातचीत और सिर्फ 2 प्रतिशत कार्रवाई में हो सकती है, लेकिन गलत संदेश भेजने की कीमत बहुत भारी पड़ सकती है। मौद्रिक नीति को महंगाई दर की उम्मीदों के प्रबंधन की जरूरत है, लेकिन वृहद स्तर पर इसे प्रबंधित करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। पात्र ने कहा, ‘ऑडिएंस को लक्षित करने के मामले में केंद्रीय बैंक अभी यह सीख रहे हैं कि व्यापक स्तर पर जनता के साथ कैसे संवाद स्थापित किया जाए।’