तमाम देश वर्ष 2030 तक विश्व से भुखमरी को मिटाना चाहते हैं, लेकिन समयसीमा से छह साल पहले अब ऐसा लग रहा है कि इस लक्ष्य को हासिल करना बहुत मुश्किल है। खाद्य सुरक्षा और पोषण पर विश्व रिपोर्ट-2024 में इस बात के संकेत दिए गए हैं।
पिछले सप्ताह पांच अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार लोगों को अभी भी पर्याप्त खाद्य सुरक्षा और स्वस्थ आहार नहीं मिल रहा है। इसमें बहुत मामूली वृद्धि हुई है। हालांकि भारत उन देशों में शामिल है, जिनमें स्वस्थ आहार से वंचित लोगों की संख्या में बहुत तेजी से कमी आई है।
देश की जनसंख्या में स्वस्थ आहार से वंचित लोगों की हिस्सेदारी 2017 के मुकाबले 2022 में 14 प्रतिशत गिरकर 55.6 प्रतिशत पर दर्ज की गई। इसका मतलब यह हुआ कि ऐसी आबादी वर्ष 2017 में 94.1 करोड़ थी, जो 2022 में घटकर 78.8 करोड़ रह गई। भूटान और बांग्लादेश उन आठ देशों में शामिल हैं, जिनमें भुखमरी से निपटने की दर भारत के मुकाबले अधिक तेज रही है।
वर्ष 2022 में पाकिस्तान की 59 प्रतिशत आबादी स्वस्थ आहार से वंचित थी। खास यह कि 2017 के मुकाबले यह आंकड़ा बढ़ गया है। दक्षिण एशिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन भूटान का रहा है और सबसे खराब स्थिति श्रीलंका की रही। वैश्विक स्तर पर स्वस्थ आहार से वंचित रहने वाली आबादी में 2017 के बाद से अब तक 5 प्रतिशत की कमी आई है।
भारत में स्वस्थ आहार की कीमत छह साल के दौरान 17.5 प्रतिशत बढ़कर प्रति व्यक्ति 3.96 डॉलर हो गई है, लेकिन यह अभी भी कई देशों के मुकाबले काफी सस्ती है। रिपोर्ट में स्वस्थ आहार का अर्थ सस्ते खाने की वहनता और स्थानीय स्तर पर उसकी उपलब्धता से माना गया है, जो किसी भी वयस्क व्यक्ति की ऊर्जा और आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करता हो।
भारत में कोविड महामारी के दौरान प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के नाम से गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना शुरू की गई थी। बाद में जनवरी 2024 से इसे अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया। इस पर अनुमानित लागत 11.8 लाख करोड़ रुपये आ रही है और इससे लगभग 80 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य पर वार्षिक स्तर पर होने वाले खर्च का 83 प्रतिशत खर्च खपत यानी भोजन की उपलब्धता, उस तक पहुंच एवं उचित तरीके से उपयोग आदि पर होता है। ब्राजील में यह खर्च 14 प्रतिशत, मेक्सिको में 40 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका में 35 प्रतिशत आंका गया है।
इतने बड़े स्तर पर खर्च के बावजूद दुनिया में कुपोषण का शिकार हर चौथा व्यक्ति भारत में रहता है। हालांकि देश में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या में 2004-06 और 2021-23 के बीच कमी आई है। विश्व में कुपोषण के शिकार सबसे ज्यादा लोग भारत में रहते हैं।