नोमुरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध नुकसानदेह साबित हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात पर प्रतिबंध से गेहूं के वैश्विक दामों में तेजी आने की संभावना है। पहले ही अन्य कई वजहों से गेहूं महंगा हुआ है, जिसमें शुरुआत में ऊर्जा की बढ़ी लागत औऱ बाद में रूस-यूक्रेन के बीच हुआ युद्ध शामिल है। अब इस प्रतिबंध के अनुमानों को लेकर कीमतों में और तेजी आएगी।
अरुदीप नंदी के साथ मिलकर लिखे नोट में नोमुरा में भारत की मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने कहा है, ‘गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने का भारत में घरेलू खाद्य महंगाई दर पर असर पडऩे की संभावना नहीं है। निर्यात पर लगाया गया यह प्रतिबंध बचाव वाला कदम है और इससे गेहूं की स्थानीय कीमतों की बढ़त रुक सरकती है, जो महंगा हुआ था। गर्म हवाओं के कारण गेहूं का उत्पादन कम हुआ है। अगर भारत के गेहूं पर प्रतिबंध के असर से चावल जैसे उसके विकल्पों के दाम बढ़ते हैं तो अन्य खाद्य पदार्थों की कीमत पर असर पड़ सकता है।’
भारत ने आधिकारिक रूप से गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे यह 13 मई से प्रतिबंधित की श्रेणी में है। उन मामलों में गेहूं भेजने की अनुमति होगी जहां अधिसूचना की तिथि के पहले लेटर ऑफ क्रेडिट (एलओसी) जारी हो चुके हैं। बहरहाल भारत ने पड़ोसी देशों व हाशिये के विकासशील देशों को गेहूं निर्यात के विकल्प खुले रखे हैं, जिससे उनकी खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा किया जा सके। लेकिन इसके लिए संबंधित देश की सरकार को अलग से आवेदन करने की जरूरत होगी। गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने को इसलिए बाध्य होना पड़ा क्योंकि भारत में थोक महंगाई दर 2022 की शुरुआत के 2.26 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर अब 14.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। खुदरा महंगाई दर भी अप्रैल में 8 साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई, जिसकी प्रमुख वजह खाद्य व ईंधन के दाम में तेजी रही है।
भारत के गेहूं के सबसे बड़े आयातक देशों में बांग्लादेश है, उसके बाद श्रीलंका, यूएई, इंडोनेशिया, यमन, फिलीपींस और नेपाल आते हैं। नोमुरा के मुताबिक एशिया में ऑस्ट्रेलिया व भारत को छोड़कर ज्यादातर देश आयातित गेहूं पर निर्भर हैं और वे गेहूं के वैश्विक दाम में तेजी से जोखिम में आ सकते हैं, भले ही वे भारत से सीधे गेहूं न खरीदते हों।
यूएसडीए के मुताबिक भारत ने 2021-22 में 1,096 टन गेहूं खरीदा था, जिसमें से 82 लाख टन निर्यात किया गया था। यह 2020-21 में 26 लाख टन निर्यात से अधिक है। यूएसडीए के अनुमान के मुताबिक भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक है औऱ 2020-21 में गेहूं के कुल वैश्विक निर्यात में इसकी हिस्सेदारी 4.1 प्रतिशत रही है।
भारत के निर्यात प्रतिबंध की अवधि अभी तय नहीं है कि कब तक प्रतिबंध लागू रहेगा। सरकार की अधिसूचना और खबरों में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है कि घरेलू गेहूं की कीमत का लक्ष्य और स्थानीय स्टॉक की उपलब्धता का लक्ष्य क्या रखा गया है, जिससे प्रतिबंध हटाया जा सके।
इसके पहले भारत ने फरवरी 2007 में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था औऱ सितंबर 2011 में प्रतिबंध हटाए जाने के पहले तक यथास्थिति बरकरार रखी थी। रिकॉर्ड उत्पादन औऱ रखने की जगह की कमी के कारण निर्यात को अनुमति दी गई थी।