लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद फिच रेटिंग (Fitch Ratings) ने भारत के लिए क्रेडिट रेटिंग जारी की है। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने भारत की क्रेडिट रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया है। भारत के लिए रेटिंग आउटलुक भी स्थिर बना हुआ है।
भारत को मिली BBB- रेटिंग
CNBCTV18 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिच रेटिंग ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी माइनस (BBB-) पर बरकरार रखा है। रेटिंग एजेंसी ने बुधवार को जानकारी दी कि फिलहाल आग के लिए संकेत ठीक हैं। फिच ने कहा कि CAPEX को बढ़ावा देने का रुख जारी रह सकता है। इसके अलावा, रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकार का फोकस ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर रह सकता है।
क्या है भारत को मिलने वाली BBB- रेटिंग का मतलब?
क्रेडिट रेटिंग का मतलब है कि किसी देश की कर्ज को वापस चुकाने की कितनी क्षमता है। इसके ही आधार पर उस देश को लोन मिलने में आसानी या मुश्किलें आती हैं। हर कैटेगरी में प्लस और माइनस रेटिंग दी जाती है। ट्रिपल बी में माइनस मिलने का मतलब है कि सबसे ज्यादा जोखिम। इसके नीचे डबल बी (BB) कैटेगरी आती है जिसका मतलब डिफॉल्ट का जोखिम ज्यादा होने से होता है। वहीं, ट्रिपल ए (AAA) में सबसे कम जोखिम होता है और डी कैटेगरी में कमिटमेंट पर डिफॉल्ट होने वाले शामिल किए जाते हैं। फिच रेटिंग कुल 11 कैटेगरी में रेटिंग देता है।
फिच ने बढ़ाया था भारत के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान
फिच रेटिंग्स ने 14 मार्च को भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान वित्त वर्ष 2025 के लिए बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया है। इसके पहले के अनुमान में एजेंसी ने 6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।
रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘कारोबारियों और ग्राहकों का भरोसा टिकाऊ स्तर पर बरकरार रहने के बीच घरेलू मांग, खासकर निवेश अर्थव्यवस्था की वृद्धि का मुख्य चालक होगा। हमारे अनुमान के मुताबिक कम अवधि के हिसाब से वृद्धि, अर्थव्यवस्था की अनुमानित क्षमता को पीछे छोड़ देगी। ऐसे में वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि दर में सुधार होगा।’
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी को यह भी उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि 7.8 प्रतिशत रहेगी, जो सरकार के 7.6 प्रतिशत वृद्धि के अनुमान से थोड़ा अधिक है।
S&P ने भारत के लिए नजरिया ‘स्थिर’ से बढ़ाकर ‘पॉजिटिव’ किया
एसऐंडपी (S&P) ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरिन रेटिंग बीबीबी- और अल्पकालिक रेटिंग ए-3 ही रखी है। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि का इसकी साख पर अच्छा असर हो रहा है। हमें उम्मीद है कि मजबूत आर्थिक बुनियादी कारकों के दम पर अगले दो से तीन साल तक वृद्धि की रफ्तार बनी रहेगी।’
मगर एजेंसी ने कहा है कि अगर सार्वजनिक वित्त को टिकाऊ बनाए रखने का राजनीतिक संकल्प डगमगाया तो वह अपना नजरिया वापस स्टेबल पर ले आएगी। उसका कहना है कि राजनीतिक संकल्प घटा तो देश की संस्थागत क्षमताएं भी कमजोर हो जाएंगी।
एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा, ‘पॉजिटिव नजरिया देने की वजह हमारा यह मानना है कि नीतियों में स्थिरता बनी रहने, आर्थिक सुधारों की पैठ गहरी होने और संस्थागत निवेश ऊंचा रहने से वृद्धि की दीर्घकालिक संभावनाएं बनी रहेंगी।’