अप्रैलइस बार मार्च तक जिस तरह के थोक मूल्य सूचकांक के कयास लगाए जा रहे थे,ताजा परिणाम उससे कहीं ज्यादा होने की उम्मीद है।
वैसे भी धातुओं, खाद्य पदार्थों आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण मुद्रास्फीति पिछले 40 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर 7.41 प्रतिशत के आंकड़े को छू चुकी है।
2 फरवरी को समाप्त हुए सप्ताह में भी मुद्रास्फीति की दर 4.07 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था लेकिन इसमें 67 बेसिस प्वाइंट्स की बढोतरी हुई और यह 4.74 प्रतिशत हो गई थी। ठीक इसी तरह 5 जनवरी से 2 फरवरी के बीच पांच सप्ताह में भी 57 बेसिस प्वाइंट्स की बढोतरी दर्ज की गई।
प्रारंभिक थोक मूल्य सूचकाक की दो सप्प्ताह के बाद पुनरावृत्ति की जाती है। इसके आठ महीने के बाद इसकी अंतिम व्याख्या की जाती है। इसी पैमाने के आधार पर ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि मार्च में जो मुद्रास्फीति की दर थी ,उसका जब अंतिम रूप आठ सप्प्ताह बाद मई में सामने आएगा तो तो उसमें काफी बढ़ोतरी के कयास लगाए जा रहे हैं।
भारत के मुख्य सांख्यिकीविद् प्रणव सेन ने इस ताजा पुनरावृत्ति में हो रही देरी का सारा आरोप इस्पात उद्योगों के सर मढ़ दिया है। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पुनरावृत्ति में आंकड़े मिलने में हो रही देरी के कारण विलंब हो रहा है। वैसे भी देश में धातु और खनिजों के बहुतों उत्पादक मौजूद हैं और उनके द्वारा देरी होने से पुनरावृत्ति के काम में बाधा पहुंचती है।
अर्थशास्त्री भी इस बात को मानते हैं कि इस पुनरावृत्ति में अभी और वक्त लगेगा। एक्सिस बैंक के उपाध्यक्ष सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि इसबार जो मुद्रास्फीति की पुनरावृत्ति होगी वह काफी बड़ा होगा। इसमें काफी बढोतरी के भी आसार हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मार्च से लेकर आजतक इस्पात की कीमतों में लगातार वृद्धि होती रही है।
इसकी वजह से पुनरावृत्ति का आकार बढ़ता हुआ नजर आ रहा है।क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का मानना है कि लौह अयस्क की कीमतों क ी पुनरावृत्ति में हो रही देरी के कारण 15 मार्च को पेश किए जाने वाले आंकड़े में ताजापन की कमी दिखेगी। इसके लिए भट्टाचार्य थोक मूल्य सूचकांक बनाने वाले कर्मचारियों को भी दोषी मानते हैं।
उनका कहना है कि सरकार को चाहिए कि वे आंकडे क़ो एकत्रित करने वाले तंत्रों में सुधार करें और आंकड़े को बेहतर तरीके से एकत्रित करे। जबकि सेन का मानना है कि सरकार आंकड़े को एकत्रित करने के तंत्र में किसी प्रकार का बदलाव नही लाना चाहती है। वर्तमान थोक मूल्य सूचकांक के निर्धारण तक इस तरह के किसी परिवर्तन पर विचार नही हो रहा है।