गरीब कल्याण पैकेज के तहत जुलाई से अगले 5 महीने तक मुफ्त अनाज वितरण के सरकार के फैसले से न सिर्फ लाखों गरीब लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि इससे अनाज के बढ़ते बोझ को निपटाने में भी मदद मिलेगी।
बहरहाल इससे खाद्य सब्सिडी का बोझ तेजी से बढऩे की उम्मीद है, जिससे भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पर और दबाव पड़ सकता है, जिसकी बाजार उधारी और कर्ज पर निर्भरता बढ़ी है। जब तक सरकार अतिरिक्त अनाज मुफ्त बांटने के लिए 2020-21 में खाद्य सब्सिडी पर बजट आवंटन बढ़ाने का फैसला नहीं करती, एफसीआई का संकट बढ़ेगा। मौजूदा आर्थिक स्थिति में इसकी संभावना कम नजर आती है।
मार्च में कोविड-19 के प्रसार के पहले 31 मार्च 2020 तक एफसीआई पर नैशनल स्माल सेविंग फंड (एनएसएसएफ) का बकाया बढ़कर करीब 2,54,000 करोड़ रुपये हो चुका था।
एनएसएसएफ कर्ज को सरकार पिछले कुछ साल से विकल्प के रूप में अपना रही है, जिससे राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखा जा सके।
अधिकारियों ने कहा कि सामान्य वर्ष में नैशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट (एनएफएसए) के तहत सब्सिडी करीब 1,80,000 करोड़ रुपये के आसपास रहती है।
बहरहाल इस साल गरीब कल्याण पैकेज और आत्मनिर्भर पैकेज के तहत मुफ्त खाद्यान्न वितरण से यह सब्सिडी 1,23,000 करोड़ रुपये और बढ़ेगी। इस तरह से 2020-21 में एफसीआई की कुल सब्सिडी करीब 3,03,000 करोड़ रुपये होगी।
इसके साथ ही विकेंद्रीकृत खरीद के लिए राज्यों को 20,000 करोड़ रुपये भुगतान का प्रावधान किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस तरह से केंद्र सरकार को 2020-21 में अपने वित्त से 5,70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का प्रावधान करना होगा, अगर वह चाहती है कि सब्सिडी के साथ एफसीआई के सभी बकाए और कर्ज का भुगतान कर दिया जाए।’
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए इसकी संभावना बहुत कम नजर आती है, जिसका मतलब होगा कि एफसीआई को या तो एनएसएसएफ से उधारी बढ़ाी होगी या अतिरिक्त व्यय के लिए बाजार से धन लेना होगा।
बजट दस्तावेजों के मुताबिक 2020-21 में एफसीआई द्वारा एनएसएसएफ से 1,36,000 करोड़ रुपये के करीब उधारी लेने का अनुमान लगाया गया था। गरीब कल्याण और आत्मनिर्भर पैकेज के तहत मुफ्त अनाज वितरण से यह उधारी बढ़ेगी, अगर सरकार चाहती है कि राजकोषीय घाटे को काबू में रखा जाए।
ऑफ बजट उधारी या कर्ज की मात्रा को बढ़ाने से अगले वित्त वर्ष 2021-22 पर गेहूं व चावल की लागत पर असर पड़ेगा।
गरीब कल्याण पैकेज और आत्म निर्भर पैकेज के तहत केंद्र सरकार ने 2020-21 में 3.2 करोड़ टन अनाज वितरण का अनुमान लगाया है। यह सामान्य पीडीएस व्यवस्था के तहत की जाने वाली 5.5 करोड़ टन गेहूं व चावल की बिक्री से अतिरिक्त होगा। सरकार के मुताबिक करीब 45,000 करोड़ रुपये सब्सिडी पहले चरण के गरीब कल्याण योजना के तहत दी जाएगी, जो अप्रैल से जून तक चलाई गई है। इसके तहत 75 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त मेंं 120 लाख टन गेहूं व चावल का वितरण किया गया है। सब्सिडी की गणना 37.26 रुपये किलो चावल और 36.83 रुपये किलो गेहूं के हिसाब से की गई है। इस तरह से मुफ्त वितरण पर कुल सब्सिडी करीब 46,601 करोड़ रुपये आती है।
अब जब गरीब कल्याण पैकेज को 5 महीने के लिए और बढ़ाकर नवंबर के अंत तक कर दिया गया है तो अतिरिक्त सब्सिडी करीब 75,000 करोड़ रुपये होगी।
गरीब कल्याण पैकेज के विस्तार की अच्छी बात यह है कि इससे गरीब लोगों को तत्काल मदद मिलेगी और इससे बढ़ते स्टॉक को निपटाने में मदद मिलेगी। 1 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक खाद्यान्न भंडारण करीब 972.6 लाख टन था। अगर 320 लाख टन अनाज का इस्तेमाल गरीब कल्याण पैकेज के तहत और सामान्य एनएफएसए के तहत 550 लाख टन अनाज का इस्तेमाल होता है तो एफसीआई पर भंडारण का बोझ कम होगा, अन्यथा 2020-21 में धान की खरीद पर असर पड़ेगा, जो अक्टूबर से शुरू होगी। इस साल फसलों की बेहतर बुआई के संकेत हैं। इक्रियर में कृषि के इन्फोसिस चेयर प्रोफेसर अशोक गुलाटी ने कहा, ‘इस वितरण से अतिरिक्त स्टॉक खाली करने में मदद मिलेगी, जिससे इस साल के अंत तक आने वाली चिंता कम होगी।’
