जून-जनवरी के दौरान भारत का संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को गैर पेट्रोलियम निर्यात 5 प्रतिशत बढ़कर 15.3 अरब डॉलर हो गया है। वाणिज्य विभाग की ओर से इस अवधि के संकलित आंकड़ों के मुताबिक इसकी तुलना में शेष दुनिया को ऐसे निर्यात में 3.4 प्रतिशत की कमी आई है। पिछले साल पश्चिम एशियाई देश के साथ हुए व्यापार समझौते के बाद की यह प्रगति है।
समग्र आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) के असर को जानने के लिए जून-जनवरी अवधि के दौरान के आंकड़े संकलित किए गए हैं। यह समझौता 1 मई को लागू हुआ था।
समझौते के बाद की प्रगति के आकलन के लिए सरकार ने मई महीने का आंकड़ा नहीं लिया है। इसके बारे में कहा गया है कि समझौता लागू होने के बाद का यह पहला महीना था, इसलिए यह अलग रखा गया है। इसके अलावा गैर तेल के व्यापार के आंकड़े को संकलित किया गया है, क्योंकि तेल सीईपीए में शामिल नहीं है।
जून-जनवरी के दौरान गैर पेट्रोलियम का आयात 3 प्रतिशत बढ़कर 16.8 अरब डॉलर हो गया है। भारत का यूएई से एक साल में कुल आयात 16 प्रतिशत बढ़कर 34.6 अरब डॉलर हो गया है।
जून-जनवरी के दौरान भारत ने 285.9 अरब डॉलर के वस्तुओं का निर्यात किया है, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 3.1 प्रतिशत ज्यादा है। इस अवधि के दौरान संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात 11.4 प्रतिशत बढ़कर 20.4 अरब डॉलर हो गया है।
वाणिज्य विभाग उम्मीद कर रहा है कि यूएई को निर्यात वित्त वर्ष 23 में 31 अरब डॉलर पार कर जाएगा, जबकि वित्त वर्ष 22 में 28 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। इस वित्त वर्ष में रत्न एवं आभूषण, मशीनरी और ऑटोमोबाइल की मांग ज्यादा है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन (सीओओ) जारी होने की धारणा से संकेत मिलता है कि व्यापार समझौते के इस्तेमाल में लगातार वृद्धि हो रही है। जनवरी में निर्यातकों को 6,057 सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन जारी किए गए, जिन्होंने व्यापार समझौते के मुताबिक छूट वाले शुल्क का लाभ लिया है।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘मई में जारी तरजीही सीओओ की संख्या 415, जून में 2,316 और जनवरी में 6,057 थी। निर्यातक अब एफटीए के तहत शुल्क छूट का लाभ उठा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि यह समझौता भारत को यूएई माल भेजने में मदद पहुंचा रहा है।
सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन अहम दस्तावेज है, जिसमें यह घोषित किया जाता है कि वस्तु किस देश में विनिर्मित है। निर्यातक आयात करने वाले देश के बंदरगाह पर सर्टिफिकेट देता है। यह दस्तावेज मुक्त व्यापार समझौते के तहत शुल्क छूट के दावे करने के लिए अहम है।
इलेक्ट्रिकल मशीनरी, रत्न एवं आभूषण, अनाज, ऑटोमोबाइल क्षेत्र को जून-जनवरी के दौरान एफटीए का सबसे ज्यादा लाभ मिला है। लोहा और स्टील, कपड़ा जैसे उत्पादों के निर्यात में इस अवधि के दौरान कमी आई है।