भारत का वाणिज्यिक निर्यात पिछले साल की तुलना में अक्टूबर में 5.4 प्रतिशत कम हुआ है, जबकि आयात में 11.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। आज जारी आंकड़ों से यह पता चलता है। व्यापार घाटा बढ़कर 8.78 अरब डॉलर हो गया है, बहरहाल यह कम आयात की वजह से पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 25 प्रतिशत कम है।
बहरहाल तेल और आभूषण को छोड़कर अक्टूबर में निर्यात में 6.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि यह वृद्धि सितंबर में हुई 12 प्रतिशत बढ़ोतरी की तुलना में कम है। अक्टूबर 2020 में तेल का दाम एक साल पहले की तुलना में करीब 33 प्रतिशत कम रहा।
वहीं दूसरी तरफ आवश्यक और गैर उतार-चढ़ाव वाले आयात (जिसमें तेल, सोना और आभूषण शामिल नहीं है) 8.3 प्रतिशत गिरा है, जिससे अर्थव्यवस्था में एक बार फिर कमजोर मांग का पता चलता है।
सोने व कीमती पत्थरों की भारतीयोंं की मांग एक साल पहले की तुलना में ज्यादा रही। सोने का आयात जहां 36 प्रतिशत बढ़ा है, मोतियों व कीमती पत्थरों का आयात 50 प्रतिशत बढ़ा है। इलेक्ट्रॉनिक सामान का आयात भी 16 प्रतिशत बढ़ा है।
लेकिन इस दौरान पूंजीगत वस्तुओं का आयात बहुत ज्यादा कम हुआ है, जिससे खपत मांग की तुलना में निवेश मांग कमजोर होने के संकेत मिलते हैं। अक्टूबर 2020 में ट्रांसपोर्ट उपकरणों का आयात 56 प्रतिशत कम हुआ है, जबकि मशीनरी का आयात 15.6 प्रतिशत गिरा है।
दवाओं के निर्यात में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं अक्टूबर 2019 की तुलना में चावल का निर्यात करीब दोगुना हो गया है। रसायनों का निर्यात भी 74 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं रत्न एवं आभूषण के निर्यात में 21 प्रतिशत कमी आई है, जबकि चमड़ा एवं चर्म उत्पादों के निर्यात में 3.8 प्रतिशत गिरावट आई है।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने एक नोट में कहा कि निर्यातकों को ढेरों पूछताछ मिल रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी चुनाव के कारण बंदी और आगामी क्रिसमस और नए साल की वजह से आर्थिक सुधार में तेजी आएगी।
फियो ने कहा है कि कीमती धातुओं का कच्चे माल के रूप में आयात से संकेत मिलता है कि श्रम आधारित रत्न एवं आभूषण उद्योग में सुधार हो रहा है।
बहरहाल अक्टूबर में इंजीनियरिंग निर्यात 3.8 प्रतिशत कम हुआ है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा कि जर्मनी और फ्रांस जैसी बड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं एक और लॉकडाउन की ओर बढ़ रही हैं, ऐसे में भारत पर भी इसका असर पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड भी रिकवरी की उम्मीद के मुताबिक ही है, लेकिन सुस्ती को लेकर सतर्कता की बात भी की। इंडिया रेटिंग में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘अक्टूबर के कारोबार के आंकड़ों से असमान और अनिश्चित रिकवरी के संकेत मिलते हैं। निर्यात मेंं गिरावट से सुस्त वैश्विक रिकवरी के संकेत मिलते हैं। गैर तेल और गैर स्वर्ण के आयात में लगातार गिरावट से बहुत कमजोर घरेलू मांग के संकेत मिलते हैं।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि आयात में कमी घटने से घरेलू आर्थिक बहाली के संकेत मिलते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि आयात के मामले में यह स्थिति आगे भी बनी रहेगी।’
