facebookmetapixel
निवेशकों को मिलेगा 156% रिटर्न! सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड 2019-20 सीरीज-X पर RBI ने तय की नई रिडेम्पशन कीमतSBI ने ऑटो स्वीप की सीमा बढ़ाकर ₹50,000 कर दी है: ग्राहकों के लिए इसका क्या मतलब है?India’s Retail Inflation: अगस्त में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.07% पर, खाने-पीने की कीमतों में तेजी से बढ़ा दबावBank vs Fintech: कहां मिलेगा सस्ता और आसान क्विक लोन? समझें पूरा नफा-नुकसानचीनी कर्मचारियों की वापसी के बावजूद भारत में Foxconn के कामकाज पर नहीं होगा बड़ा असरGST कट के बाद दौड़ेगा ये लॉजि​स्टिक स्टॉक! मोतीलाल ओसवाल ने 29% अपसाइड के लिए दी BUY की सलाह₹30,000 करोड़ का बड़ा ऑर्डर! Realty Stock पर निवेशक टूट पड़े, 4.5% उछला शेयरG-7 पर ट्रंप बना रहे दबाव, रूसी तेल खरीद को लेकर भारत-चीन पर लगाए ज्यादा टैरिफ10 मिनट डिलीवरी में क्या Amazon दे पाएगी Blinkit, Swiggy को टक्कर? जानें ब्रोकरेज की रायसी पी राधाकृष्णन ने भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के तौर पर ली शपथ

निर्यातकों को मिली राहत की सांस

Last Updated- December 06, 2022 | 1:04 AM IST

रिजर्व बैंक की क्रेडिट पॉलिसी में इस बार निर्यातकों की लंबे समय से चली आ रही मांगों का ध्यान रखा गया है।


साथ ही निर्यात मूल्य की वापसी पर भी लचीला रुख अपनाया गया है। फिलहाल नियम यह है कि निर्यात किए गए सामान और सॉफ्टवेयर का निर्यात मूल्य, निर्यात किए जाने के छह महीने के भीतर लेना जरूरी है।


इस नियम में कुछ ढील देते हुए अब यह तय किया गया है कि निर्यातक अपना कुल निर्यात मूल्य 12 महीने के अंदर ले सकेंगे। अरविंद मिल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यूरोप में डीलरों को लंबा क्रेडिट पीरियड मिलता है। इससे फायदा यह होता है कि एक कंपनी ज्यादा लचीले तरीके से डीलर नेटवर्क से डील कर सकती है। वह प्राप्ति राशियां तब ले सकते हैं जब उनका बेचने का इरादा हो।


यह फायदा उन इकाइयो को मिलेगा जो पूरी तरह निर्यात आधारित हैं। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर टेक्नॉलॉजी पार्क, सॉफ्टवेयर टेक्नॉलॉजी पार्क, और बायोटेक्नॉलॉजी पार्क के अंतर्गत लगाई गई इकाइयों को भी यह फायदा मिलेगा। निर्यातक अब निर्यात मूल्य लेने का समय बीत जाने के बाद भी अगर कुछ बकाया रह गया है तो उसके लिए रिजर्व बैंक से बातचीत कर सकेंगे।


विशेषज्ञों की राय में यह केवल विदेशी संयुक्त उपक्रमों को किए जाने वाले निर्यात पर लागू होगा जहां से कंपनियां छह महीने के बाद भी निर्यात मूल्य वसूल सकती हैं।निर्यातकों को 180 दिन के क्रेडिट पीरयड की इजाजत दी गई है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो उन्हे बिक्री के लिए 180 दिन का समय दिया गया है।


उद्योग पर नजर रखने वाले एक जानकार का कहना है कि इससे पहले अगर आप किसी संयुक्त उपक्रम कंपनी को माल बेचते थे तो आपको तुरंत मूल्य वसूली करनी होती थी लेकिन अब आप प्राप्ति राशि को छह महीने के लिए रोक सक ते हैं।


जहां तक निर्यात बिल से जुड़े दावे सुलझाने का सवाल है तो इसमें नरमी बरतते हुए रिजर्व बैंक ने प्राधिकृत डीलर बैंकों को बट्टे खाते में डालनेका अधिकार दिया है। इसके अलावा एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया भी इस तरह के मामले निपटाती है जबकि अन्य इंश्योरेंस कंपनियां बकाया निर्यात बिल से जुड़े मसले सुलझाती हैं।


इस तरह बैंक एक निर्यातक की अर्जी पर संबंधित निर्यात बिल को बट्टे खाते में डाल सकते हैं। आलोक इंडस्ट्रीज के मुख्य वित्त अधिकारी सुनील खंडेलवाल कहते हैं कि ऐसा हो सकता है कि 2-3 साल से कुछ निर्यात बिलों का भुगतान न किया गया हो।


पहले ऐसा था कि उन्हे बट्टे खाते में डालने के लिए रिजर्व बैंक को अर्जी देनी होती थी लेकिन अब सिर्फ अपने प्राधिकृत डीलर बैंक को ही सूचित करने की जरूरत है। हालांकि अन्य निर्यातकों को इसकी जानकारी नहीं है और उनकी राय में ऐसा नियम तो पहले से ही मौजूद है।

First Published - May 1, 2008 | 11:25 PM IST

संबंधित पोस्ट