भारत के निर्यात में लगातार दो वित्त वर्षों तक वृद्धि दर्ज किए जाने के बाद वित्त वर्ष 2023-24 के लिए वस्तुओं के निर्यात में 1 से 1.5 फीसदी की गिरावट आ सकती है। हालांकि मार्च के लिए निर्यात में दो अंकों की दमदार वृद्धि दिखने की संभावना है। व्यापार आंकड़ों के शुरुआती अनुमान से यह जानकारी मिली है। अंतिम आंकड़ों का संकलन अभी जारी है। वाणिज्य विभाग 15 अप्रैल को अंतिम आंकड़े जारी करेगा।
इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत ने 451 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया था। वित्त वर्ष 2024 में संचयी आधार पर थोड़ा संकुचन दिखने की आशंका है। हालांकि मात्रा के लिहाज से भारतीय वस्तुओं की मांग बढ़ने की उम्मीद है। निर्यात में संकुचन की मुख्य वजह जिंसों की कीमतों में गिरावट हो सकती है।’
संचयी आधार पर अप्रैल से फरवरी 2023-24 के दौरान वस्तुओं का निर्यात 395 अरब डॉलर रहा जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 3.5 फीसदी कम है।
अप्रैल से फरवरी के दौरान पहले 11 महीनों में से 6 महीनों के दौरान संकुचन दिखा और निर्यात व्यापक तौर पर हर महीने 33 से 34 अरब डॉलर के दायरे में रहा। निर्यात में लगातार वृद्धि का दौर दिसंबर के बाद शुरू हुआ।
लाल सागर संकट के कारण उथल-पुथल के बावजूद फरवरी में भारत से वस्तुओं के निर्यात में 11.9 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई जो पिछले 20 महीनों में सबसे अधिक वृद्धि है। इस दौरान 41.4 अरब डॉलर की वस्तुओं का निर्यात किया गया। सूत्र ने बताया कि मार्च में भी यही रफ्तार जारी रहने की उम्मीद है।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने पिछले महीने संवाददाताओं से कहा था, ‘हमने सभी अनुमानों को पार कर लिया है। मार्च के आंकड़े भी काफी अच्छे रहने चाहिए। यह निर्यात क्षेत्र में मजबूती को दर्शाता है। यह वित्त वर्ष 2024-25 भी काफी अच्छा रहेगा।’ वस्तुओं के निर्यात में 1 से 1.5 फीसदी के संकुचन का मतलब है कि मार्च में आउटबाउंड शिपमेंट करीब 50 अरब डॉलर हो जाएगा। इस प्रकार यह वित्त वर्ष 2022 के करीब 45 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर जाएगा।
अगर वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल निर्यात (वस्तुओं एवं सेवाओं) पर गौर किया जाए तो वृद्धि सकारात्मक रहने की उम्मीद है। अप्रैल से फरवरी के दौरान सेवाओं का निर्यात 314.82 अरब डॉलर रहा जबकि एक साल पहले की अवधि में यह आंकड़ा 294.89 अरब डॉलर रहा था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह कहा था कि इजरायल-हमास युद्ध और लाल सागर में व्यवधानों के बावजूद वित्त वर्ष 2024 में भारत का निर्यात ‘सपाट अथवा कुछ धनात्मक’ रहने की उम्मीद है।
उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड मंथन कार्यक्रम में कहा था, ‘दो युद्धों और लाल सागर संकट के बावजूद वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात कुल मिलाकर धनात्मक बना रहेगा। हम साल 2030 तक 2 लाख करोड़ डॉलर का निर्यात करेंगे और इसमें कोई संदेह नहीं है।’