जुलाई में देश का निर्यात 10.2 फीसदी कम रहा। हालांकि जून के 12.4 फीसदी की गिरावट की तुलना में इसमें मामूली सुधार हुआ है। पेट्रोलियम, रत्न एवं आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा टेक्सटाइल के निर्यात में कमी से कुल निर्यात में कमी आई है।
निर्यात में गिरावट का रुख बना हुआ है और जुलाई में लगातार पांचवे महीने यह घटकर 23.64 अरब डॉलर रहा। हालांकि मई के 36.47 फीसदी और अप्रैल के 60.28 फीसदी की गिरावट को देखते हुए, जुलाई के आंकड़े सुधार के संकेत देते हैं।
जुलाई में इंजीनियरिंग वस्तुओं और दवाओं के निर्यात से थोड़ा सहारा मिला। इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 8 फीसदी बढ़कर 6.6 अरब डॉलर रहा जबकि जून में इसमें 7.5 फीसदी की गिरावट आई थी। निर्यात से होने वाली विदेशी विनिमय आय में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब एक-चौथाई है। भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवद्र्घन परिषद के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा, ‘दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह कहना कठिन है कि निर्यात में तेजी कब तक आएगी। हालांकि इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात में सुधार हुआ है।’
कोरोना की वजह से दवाओं के निर्यात में तेजी आई है और जून में इसका निर्यात 9.8 फीसदी बढऩे के बाद जुलाई में इसमें 19.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। लेकिन अन्य प्रमुख क्षेत्रों के निर्यात में गिरावट का रुख बना हुआ है। पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 51.5 फीसदी की गिरावट आई है, जो जून के 31 फीसदी की गिरावट से कहीं ज्यादा है। उपभोक्ता वस्तुओं के निर्यात में भी कमी आई है। हालांकि नीति निर्माताओं का कहना है कि निर्यात में सुधार के संकेत दिख रहे हैं।
