Representative Image
भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की 14वीं दौर की वार्ता 6 अक्टूबर से ब्रसेल्स में शुरू होने जा रही है। इससे पहले यूरोपीय कंपनियों ने भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल में अपनी गहरी रुचि दिखाई है।
यूरोपीय बिजनेस फेडरेशन इन इंडिया (FEBI) की दूसरी वार्षिक आम बैठक में भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत हर्वे डेलफिन ने कहा कि भारत पहले से ही बड़ी संख्या में यूरोपीय निवेश और कारोबार का केंद्र है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित एफटीए से दोनों पक्षों के बीच व्यापार, निवेश और रोजगार के नए अवसर खुल सकते हैं।
FEBI के ताजा सर्वे के मुताबिक, वर्तमान में 6,000 से अधिक यूरोपीय कंपनियां भारत में काम कर रही हैं, जो करीब 30 लाख लोगों को रोजगार दे रही हैं। ये कंपनियां न केवल निवेश कर रही हैं, बल्कि भारत से निर्माण, नवाचार और निर्यात भी कर रही हैं — जो सीधे ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को गति दे रहा है।
डेलफिन ने कहा, “ईयू कंपनियां भारत को एक आकर्षक बाजार मानती हैं, जहां अवसर तो हैं ही, चुनौतियां भी हैं। लेकिन इन अवसरों का लाभ उठाते हुए वे भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार, निवेश और नवाचार के जरिए बड़ा योगदान दे रही हैं।”
ईयू अब भी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों के बीच वस्तुओं का व्यापार 120 अरब यूरो तक पहुंच चुका है, जो अमेरिका और चीन से अधिक है। सेवाओं सहित यह व्यापार 180 अरब यूरो तक पहुंच गया है।
फिर भी, डेलफिन के अनुसार, “अभी भी बड़ी संभावनाएं बाकी हैं, क्योंकि ईयू और भारत क्रमशः दुनिया की दूसरी और चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। एफटीए से इन अनछुए अवसरों को खोला जा सकता है।”
इस सप्ताह शुरू हो रही वार्ता में दोनों पक्षों को समझौते पर ठोस प्रगति की उम्मीद है। डेलफिन ने कहा, “अगर एफटीए लागू होता है, तो इसका दायरा बहुत बड़ा होगा। ईयू की 80 फीसदी कंपनियों ने कहा है कि वे भारत में निवेश और रोजगार बढ़ाएंगी।”
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को 2025 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। डेलफिन ने कहा, “ईयू एक सार्थक पैकेज पर सहमति के लिए तैयार है और हम आने वाली वार्ताओं में प्रगति की उम्मीद करते हैं।”
एफटीए के साथ-साथ दोनों पक्ष निवेश सुरक्षा समझौते (Investment Protection Agreement) पर भी बातचीत कर रहे हैं। इसका उद्देश्य निवेशकों के लिए एक स्थिर और पारदर्शी वातावरण तैयार करना है।
इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने ईयू-भारत रणनीतिक एजेंडा भी पेश किया है, जिसमें समृद्धि, सतत विकास, प्रौद्योगिकी, रक्षा और गतिशीलता को जोड़ा गया है। इस योजना के तहत इनोवेशन हब, ब्लू वैलीज़, महत्वपूर्ण आपूर्ति शृंखलाओं के लिए TTC 2.0, और आईसीटी वर्कर्स के लिए गेटवे ऑफिस जैसी पहलें शामिल हैं।
डेलफिन ने कहा, “भारत की विकास कहानी यूरोप की आर्थिक दृष्टि का अहम हिस्सा है। FEBI और भारत में काम कर रहा पूरा यूरोपीय कारोबारी समुदाय इस विकास यात्रा का एक हिस्सा है।”