भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की इस हफ्ते होने वाली समीक्षा बैठक में रीपो दर यथावत रखी जा सकती है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में सभी 10 प्रतिभागियों की यही राय रही। आरबीआई 8 जून को नीतिगत दर पर निर्णय की घोषणा करेगा।
मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच आरबीआई ने रीपो दर 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दी थी मगर अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा में दर बढ़ोतरी पर विराम लगाने का निर्णय किया गया था।
बहरहाल आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर देते हुए कहा कि दर में बढ़ोतरी पर विराम लगा है और इसे रोक नहीं समझना चाहिए। ऐसे में आगे मौद्रिक नीति और सख्त बनाई जा सकती है।
मौद्रिक नीति पर निर्णय के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति प्रमुख पैमाना होती है, जो अप्रैल में 18 महीने के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर रही है। मार्च में यह 5.7 फीसदी थी। खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई के लक्ष्य 2 से 6 फीसदी के दायरे में ही रही।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा, ‘भारत में दर बढ़ोतरी का चक्र अब पूरा हो चुका है और मुद्रास्फीति चरम पर पहुंच चुकी है।’
सर्वेक्षण में शामिल 10 में से 6 प्रतिभागियों ने कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी से केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.2 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर सकता है।
बार्कलेज में एशिया (चीन को छोड़कर) इकनॉमिक्स के प्रमुख और प्रबंध निदेशक राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान मौजूदा 5.2 फीसदी के औसत से कम कर 5 फीसदी किया जा सकता है।’ मगर मॉनूसन के प्रति चिंता देखते हुए आरबीआई मुद्रास्फीति के अनुमान को बरकरार रख सकता है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘इक्रा को उम्मीद है कि मई-जून में खुदरा मुद्रास्फीति और कम होकर 4.5 से 4.7 फीसदी रह सकती है और वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में इसके 4.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जो मौद्रिक नीति समिति के अनुमान (5.1 फीसदी) से कम है। मुद्रास्फीति में नरमी का रुख देखते हुए मौद्रिक नीति समिति चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के अपने अनुमान में कटौती कर सकती है लेकिन मॉनसून की फिक्र उसे ऐसा करने से रोक सकती है।’
दूसरी ओर जनवरी-मार्च तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर उम्मीद से बेहतर 6.1 फीसदी रही और पूरे वित्त वर्ष में यह 7.2 फीसदी दर्ज की गई। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है।
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘आरबीआई के वृद्धि अनुमान में इजाफा हो सकता है।’ एसबीआई ने भी चौथी तिमाही के आंकड़े आने के बाद जीडीपी वृद्धि का अपना अनुमान बढ़ा दिया है।
घोष ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हम चालू वित्त वर्ष में वृद्धि की गति जोर पकड़ने पर ध्यान दे रहे हैं। हम अपने बेसलाइन अनुमान को 6.2 फीसदी से बढ़ाकर 6.7 फीसदी कर रहे हैं। हमारे अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.7 फीसदी और पहली तिमाही में 7.8 फीसदी रह सकती है। यह अनुमान संतुलित जोखिम के आधार पर लगाया गया है।’
जहां तक आरबीआई के मौद्रिक रुख की बात है तो सभी प्रतिभागियों ने कहा कि केंदीय बैंक राहत वापस लेना जारी रख सकता है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की भारत में अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘हमें लगता है कि आरबीआई राहत और नरमी वापस लेने का रुख बनाए रखेगा।’ उन्होंने कहा कि रुख को तटस्थ रखने से गलत संदेश जाएगा कि आरबीआई का ध्यान अब मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने से हट गया है।