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Economic Survey 2024: चीन से FDI बढ़ाना व्यापार से बेहतर

भारत के पास चीन प्लन वन रणनीति से लाभ उठाने के दो विकल्प हैं। पहला- भारत चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए या दूसरा चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जाए।

Last Updated- July 22, 2024 | 9:51 PM IST
Market dynamics changed, foreign capital attracted towards America बाजार की चाल बदली, विदेशी पूंजी अमेरिका की ओर आकर्षित

Economic Survey 2024: चीन प्लस वन रणनीति के दौर में भारत का लक्ष्य पड़ोसी देश के साथ फिर से संबंधों में सुधार करना है। आज जारी आर्थिक समीक्षा में इस पर जोर दिया गया है। समीक्षा में पड़ोसी देश का 132 बार उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि भारत के पास चीन प्लन वन रणनीति से लाभ उठाने के दो विकल्प हैं। पहला- भारत चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए या दूसरा चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जाए।

समीक्षा में वैश्विक महामारी कोविड-19 से पनपे व्यवधानों, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव और चीन में व्यापार करने की बढ़ती खर्च के कारण जोखिम नहीं लेने के लिए ऐपल और उसकी आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन के भारत में आने का उदाहरण दिया गया है।

उसमें कहा गया है, ‘भारत का घरेलू उपभोक्ता बाजार कंपनियों को परिचालन शुरू करने के लिए आकर्षित करता है।’ वित्त वर्ष 2024 के दौरान ऐपल ने भारत में 14 अरब डॉलर के आईफोन असेंबल किया, जो उसके वैश्विक आईफोन उत्पादन का 14 फीसदी है। वहीं, फॉक्सकॉन ने कर्नाटक और तमिलनाडु में ऐपल के मोबाइल फोन का उत्पादन शुरू किया है।

समीक्षा में कहा गया है, ‘भारत के पास चीन प्लस वन रणनीति का लाभ लेने के लिए दो विकल्प है, या तो चीन की आपूर्ति श्रृंखला में शामिल हो जाए अथवा चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा दिया जाए। इन विकल्पों में से चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिका को भारत के निर्यात को बढ़ाने के लिए अधिक आशाजनक प्रतीत होता है, जैसा कि पूर्व में पूर्वी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं ने किया था। इसके अलावा, चीन प्लस वन रणनीति से फायदा पाने के लिए एफडीआई को चुनना व्यापार पर निर्भर रहने की तुलना में अधिक लाभप्रद हो सकता है।’

वित्त वर्ष 2024 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था और बीते 18 वर्षों में भारत का सबसे बड़ा आयात भागीदार रहा है। वित्त वर्ष 2024 में पड़ोसी देश के साथ व्यापार घाटा भी सर्वाधिक रहा है। कि अमेरिका तथा यूरोप अपनी तत्काल आपूर्ति चीन से हटा रहे हैं। इसलिए चीनी कंपनियों द्वारा भारत में निवेश करना और फिर इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करना अधिक प्रभावी है, बजाय इसके कि वे चीन से आयात करें, न्यूनतम मूल्य जोड़ें और फिर उन्हें पुनः निर्यात करें।

इंडसलॉ के पार्टनर अनिंद्य घोष ने कहा, ‘अधिकतर विनिर्माण क्षेत्रों में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है मगर विनिर्माण क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए उसमें और सुधार जरूरी है। इनमें श्रमिकों की सुरक्षा के साथ-साथ निवेशकों के अनुकूल नीतियां बनाना, श्रम कानूनों की जटिलताओं को कम करना आदि शामिल है।’ उन्होंने कहा व्यापार सौदों में भारत की सक्रिय भागीदारी चीन प्लन वन रणनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चीन से एफडीआई पर ध्यान केंद्रित कर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए तरीके लाने होंगे। समीक्षा में कहा गया है कि भारत के लिए चीन से वस्तुओं के आयात और एफडीआई के बीच संतुलन बनाना काफी जरूरी है। उसमें कहा गया है, ‘आंकड़े बताते हैं कि चीन से विदेशी निवेश मजबूत नहीं रहा है। हालांकि, चीनी वस्तुओं पर भारत की निर्भरता बरकरार है और करीब दो दशकों में इसमें वृद्धि ही हो रही है।’

सरकारी आंकड़े दर्शाते हैं कि, साल 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान चीन से शेयर बाजार में एफडीआई का निवेश 17 लाख डॉलर था, जो कुल निवेश का महज 0.01 फीसदी था। जनवरी 2000 से मार्च 2024 तक चीन से शेयर बाजार में एफडीआई निवेश 25 लाख डॉलर था। उल्लेखनीय है कि चार साल पहले केंद्र सरकार ने भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों से विदेशी निवेश के लिए मंजूरी अनिवार्य कर दी थी। इसमें चीन जैसे देश भी शामिल है।

इसमें बताया गया कि चीन से एफडीआई प्रवाह में वृद्धि से निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने में मदद मिल सकती है। किसी भी क्षेत्र में वर्तमान में चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है।

First Published - July 22, 2024 | 9:51 PM IST

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