केंद्रीय बैंक द्वारा शुक्रवार को 2,000 रुपये के नोट वापस लिए जाने की घोषणा के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव ‘बेहद मामूली’ होगा, क्योंकि इन नोटों का योगदान चलन में सिर्फ 10.8 प्रतिशत है।
दास ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बोर्डों संग एक बैठक के अवसर पर अनौपचारिक तौर पर पत्रकारों को बताया, ‘2,000 रुपये के नोट किसी लेनदेन में आमतौर पर इस्तेमाल नहीं हो रहे हैं। हमने भारत के कई इलाकों में कुछ सर्वेक्षण कराए और पता चला कि लेनदेन में इन नोटों का शयद ही इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए, आर्थिक गतिविधियां प्रभावित नहीं होंगी।’ हालांकि उन्होंने कहा कि वह RBI के इस कदम की वजह से सोने और रियल एस्टेट के लिए मांग बढ़ने के संदर्भ में अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकते, क्योंकि यह लोगों पर निर्भर करेगा।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक के पास पर्याप्त मात्रा में छपे हुए नोट पहले से ही उपलब्ध हैं और कम मूल्य के नोटों की बढ़ती मांग पूरी करने में समस्या नहीं होगी।
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में नोट मौजूद हैं। इसलिए चिंता करने की कोई वजह नहीं है। हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है।’
दास ने कहा कि 2,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करना आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन का हिस्सा है। उन्होंने कहा, ‘वैसे भी, 2,000 रुपये के नोटों का चलन अपने 6.73 लाख करोड़ रुपये के ऊंचे स्तर से करीब 50 प्रतिशत तक घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये रह गया है।’
हालांकि दास ने यह स्पष्ट नहीं किया कि 30 सितंबर के बाद ऊंची वैल्यू वाले इन नोटों का वैध दर्जा कितने समय तक बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि ज्यादातर नोट तय समय-सीमा तक बैंकों में जमा हो जाएंगे। हमें यह देखना होगा कि तय समय-सीमा में कितने नोट वापस आएंगे, फिर हम इस बारे में निर्णय लेंगे। मैं अभी इसका अंदाजा नहीं लगा सकता कि 30 सितंबर के बाद क्या होगा। हमने यह नहीं कहा है कि समय-सीमा सिर्फ 30 सितंबर तक ही है।’
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दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक खासकर देश से बाहर रह रहे या यात्रा पर गए हुए लोगों के संदर्भ में भी चिंतित बने रहेंगे। उन्होंने कहा, ‘कई भारतीय देश से बाहर रह रहे हैं या लंबे समय के लिए विदेश यात्रा पर गए हुए हैं, ऐसे बुजुर्ग भी हैं जो 6 महीने के लिए अमेरिका में अपने बच्चों से मिलने गए हैं, कई भारतीय युवा एच1बी वीजा पर गए हैं, जो अमेरिका और अन्य देशों में काम कर रहे हैं। चाहे लोग बाहर हों या भारत में, हम उन्हें पैदा होने वाली समस्याओं के प्रति सजग रहेंगे। हम बाहर रह रहे लोगों की समस्याओं का अध्ययन कराएंगे और इसका समाधान तलाशेंगे। यह मेरा आश्वासन है।’
जब यह पूछा गया कि बार बार नोट वापसी से भारत की मुद्रा प्रणाली की साख पर सवाल खड़ा होगा, तो गवर्नर ने कहा कि भारत की मुद्रा प्रबंधन प्रणाली बेहद मजबूत बनी हुई है।