वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में कमी और सोने की चढ़ती कीमतों के बीच इस पीली धातु के परिवहन पर ई-वे बिल व्यवस्था शुरू करने के प्रस्ताव पर हरकत तेज हो गई है। सोने के परिवहन पर ई-वे बिल प्रस्ताव का मकसद कर चोरी रोकना और इस महंगी धातु की तस्करी पर अंकुश लगाना है। आगामी शुक्रवार को केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक के नेतृत्व में मंत्रिसमूह की बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी। सोने के परिवहन से संबंधित सुरक्षा चिंताएं दूर करने के लिए मंत्रिसमूह ई-वे बिल का एक सुरक्षित संस्करण लाने पर विचार कर रहा है। हालांकि सोने पर ई-वे बिल व्यवस्था लागू करने पर राज्यों में मतभेद हैं।
देश में 50,000 रुपये से अधिक मूल्य की वस्तुओं के परिवहन के लिए ई-वे बिल अनिवार्य है, लेकिन सोने के मामले में यह व्यवस्था फिलहाल लागू नहीं है। सोने के परिवहन के लिए ई-वे बिल शुरू करने का प्रस्ताव सबसे पहले केरल ने दिया था। केरल ने जीएसटी लागू होने के बाद इस महंगी धातु से राजस्व संग्रह पर चिंता जताई थी। हालांकि बिहार और गुजरात सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित राज्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है।
इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘कर चोरी और जीएसटी अनुपालन कड़ा करने के लिए सोने पर ई-वेल बिल शुरू करने का प्रस्ताव आगे बढ़ाने के लिए मंत्रियों का समूह बैठक करने जा रहा है। मंत्रिसमूह ई-वे बिल के एक सुरक्षित संस्करण की समीक्षा करेगा, हालांकि व्यवहार में यह कितना खरा उतरेगा सारा दारोमदार इस बात पर होगा। केरल का कहना है कि अगर देश के दूसरे राज्यों में यह व्यवस्था लागू नहीं होती है तब भी उसे अपने यहां सोने पर ई-वे बिल लागू करने की अनुमति दी जाए।’
बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा, पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल भी इस मंत्रिसमूह का हिस्सा हैं। मंत्रिसमूह कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए दूसरे उपाय भी सुझाएगा। आइजैक ने पिछले महीने अपने ट्वीट में सोने पर ई-वेल बिल का विरोध करने के लिए भाजपा शासित राज्यों पर सवाल खड़ा किया था। केरल का मानना है कि डीलरों के लिए सोना ले जाना और ग्राहकों के पास सीधे जाकर इसे बेचना आसान है। पिछले साल जून में जीएसटी परिषद की बैठक में भी इस मुद्दे पर विचार हुआ था।
पिछले वर्ष मंत्रिसमूह के कुछ सदस्यों का मत था कि ई-वेल के बजाय दूसरे अन्य उपायों पर विचार करने की जरूरत है। उनके अनुसार ई-वे बिल व्यवस्था जोखिम भरी हो सकती है। इसके साथ ही 50,000 रुपये की सीमा सोने जैसी महंगी धातु के लिहाज से तर्कसंगत नहीं है। बिहार के उप मुख्यमंत्री ने बताया कि क्रियान्वयन से जुड़ी मुश्किलों के कारण महंगी धातुओं के परिवहन पर ई-वे बिल की व्यवस्था करना संभव नहीं है।
हरियाणा ने एक निश्चित समय सीमा में जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) द्वारा सुरक्षित ई-वे बिल लागू किए जाने की वकालत की है।