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Disinvestment: मोदी सरकार के कार्यकाल में विनिवेश से कमाई 11 साल के निचले स्तर पर, अब तक जुटे सिर्फ 9,319 करोड़ रुपये

सरकार ने विनिवेश लक्ष्य पर फोकस छोड़ मूल्य सृजन और पीएसई के प्रदर्शन सुधार पर रखा ध्यान, रणनीतिक बिक्री की रफ्तार भी धीमी

Last Updated- March 19, 2025 | 10:26 PM IST
Interim Budget: Disinvestment target pegged at Rs 50,000 crore in FY24 वित्त वर्ष 2024-25 में 50,000 करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य, RE घटाकर 30,000 रुपये किया गया

केंद्र सरकार की वित्त वर्ष 2025 में विनिवेश से प्राप्तियां 2014-15 में नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं। चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2025) में सरकार ने अब तक अल्पांश हिस्सेदारी बेचकर 9,319.05 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

वित्त वर्ष 2023 (2023-24) में सरकार को विनिवेश से 16,507.29 करोड़ रुपये मिले थे। चालू वित्त वर्ष में अब एक पखवाड़े से भी कम बचा है और वित्त वर्ष 2025 की प्राप्तियां 2021-22 की तुलना में भी कम हैं, जब विनिवेश से 13,534.4 करोड़ रुपये मिले थे। वित्त वर्ष 2024 से सरकार ने विनिवेश का कोई खास लक्ष्य रखना बंद कर दिया है।

जुलाई में वित्त वर्ष 2025 का पूर्ण बजट पेश किए जाने के बाद निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के तत्कालनी सचिव तुहिन कांत पांडेय ने सरकार द्वारा रुख बदलकर मूल्य सृजन पर ध्यान केंद्रित करने का उल्लेख किया था।

इस के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसई) को बढ़े पूंजीगत व्यय, ज्यादा लाभांश और जहां व्यावहारिक हो वहां निजीकरण करके प्रदर्शन को शीर्ष स्तर पर ले जाना शामिल है। सरकार सामान्यतया अल्पांश हिस्सेदारी बेचने और केंद्रीय पीएसई के रणनीतिक विनिवेश का काम करती है। रणनीतिक विनिवेश में केंद्र के उद्यमों में पूरी या उल्लेखनीय सरकारी हिस्सेदारी बेचना और प्रबंधन का नियंत्रण हस्तांतरित करना शामिल है।

First Published - March 19, 2025 | 10:26 PM IST

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