facebookmetapixel
नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल का पड़ोसी दरभंगा पर कोई प्रभाव नहीं, जनता ने हालात से किया समझौताEditorial: ORS लेबल पर प्रतिबंध के बाद अन्य उत्पादों पर भी पुनर्विचार होना चाहिएनियामकीय व्यवस्था में खामियां: भारत को शक्तियों का पृथक्करण बहाल करना होगाबिहार: PM मोदी ने पेश की सुशासन की तस्वीर, लालटेन के माध्यम से विपक्षी राजद पर कसा तंज80 ही क्यों, 180 साल क्यों न जीएं, अधिकांश समस्याएं हमारे कम मानव जीवनकाल के कारण: दीपिंदर गोयलभारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर दिया जोरपीयूष पांडे: वह महान प्रतिभा जिसके लिए विज्ञापन का मतलब था जादूभारत पश्चिम एशिया से कच्चा तेल खरीद बढ़ाएगा, इराक, सऊदी अरब और UAE से तेल मंगाकर होगी भरपाईBlackstone 6,196.51 करोड़ रुपये के निवेश से फेडरल बैंक में 9.99 फीसदी खरीदेगी हिस्सेदारीवित्त मंत्रालय 4 नवंबर को बुलाएगा उच्चस्तरीय बैठक, IIBX के माध्यम से सोने-चांदी में व्यापार बढ़ाने पर विचार

Demonetisation: देश में नोटबंदी के बाद से करेंसी का सर्कुलेशन 83 फीसदी बढ़ा

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार सरकार के नोटबंदी के फैसले को उचित ठहराया

Last Updated- January 02, 2023 | 3:33 PM IST
investment
BS

नोटबंदी का देश में चलन में मौजूद करेंसी (CIC) का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। नोटबंदी (Demonetisation) की घोषणा आठ नवंबर, 2016 को की गई थी। इसके तहत 500 और 1,000 रुपये के ऊंचे मूल्य के नोट बंद कर दिए गए थे। नोटबंदी की घोषणा के बाद आज चलन में करेंसी करीब 83 फीसदी बढ़ गई है।

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार सरकार के नोटबंदी के फैसले को उचित ठहराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को 1,000 रुपये और 500 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। इसके पीछे उनका उद्देश्य देश में डिजिटल भुगतान (Digital Payment) को बढ़ावा देना और काले धन (Black Money) के प्रवाह को रोकना था।

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, मूल्य के संदर्भ में चलन में करेंसी या नोट चार नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 23 दिसंबर, 2022 को 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गए। हालांकि, नोटबंदी के तुरंत बाद करेंसी छह जनवरी, 2017 को करीब 50 फीसदी घटकर लगभग नौ लाख करोड़ रुपये के निचले स्तर तक आ गई थी।

चलन में करेंसी चार नवंबर, 2016 को 17.74 लाख करोड़ रुपये थी। पुराने 500 और 1,000 बैंक नोटों को चलन से बाहर करने के बाद यह पिछले छह वर्षों का सबसे निचला स्तर था। उस समय चलन में कुल नोटों में बंद नोटों का हिस्सा 86 फीसदी था। चलन में मुद्रा में छह जनवरी, 2017 की तुलना में तीन गुना या 260 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखा गया है, जबकि चार नवंबर, 2016 से अब तक इसमें करीब 83 फीसदी का उछाल आया है। जैसे-जैसे प्रणाली में नए नोट डाले गए चलन में करेंसी सप्ताह-दर-सप्ताह बढ़ती हुई वित्त वर्ष के अंत तक अपने चरम यानी 74.3 फीसदी तक पहुंच गई।

इसके बाद जून, 2017 के अंत में यह नोटबंदी-पूर्व के अपने शीर्ष स्तर के 85 फीसदी पर थी। नोटबंदी के कारण करेंसी में छह जनवरी, 2017 तक लगभग 8,99,700 करोड़ रुपये की गिरावट आई, जिससे बैंकिंग प्रणाली में अतिरिक्त तरलता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। यह नकद आरक्षित अनुपात (आरबीआई के पास जमा का फीसदी) में लगभग नौ फीसदी की कटौती के बराबर था।
इससे रिजर्व बैंक के तरलता प्रबंधन परिचालन के समक्ष चुनौती पैदा हुई। इससे निपटने के लिए केंद्रीय बैंक ने तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत विशेष रूप से रिवर्स रीपो नीलामी का इस्तेमाल किया।

करेंसी 31 मार्च, 2022 के अंत में 31.33 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 23 दिसंबर, 2022 के अंत में 32.42 लाख करोड़ रुपये हो गई। नोटबंदी के साल को छोड़ दिया जाए, तो चलन में करेंसी बढ़ी ही है। यह मार्च, 2016 के अंत में 20.18 फीसदी घटकर 13.10 लाख करोड़ रुपये पर आ गई। 31 मार्च, 2015 के अंत में करेंसी 16.42 लाख करोड़ रुपये थी।

नोटबंदी के अगले वर्ष में यह 37.67 फीसदी बढ़कर 18.03 लाख करोड़ रुपये हो गई। वहीं मार्च, 2019 के अंत में 17.03 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये और 2020 के अंत में 14.69 फीसदी बढ़कर 24.20 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले दो वर्षों में मूल्य के संदर्भ में करेंसी की वृद्धि दर 31 मार्च, 2021 के अंत में 16.77 फीसदी के साथ 28.26 लाख करोड़ रुपये और 31 मार्च, 2022 के अंत में 9.86 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 31.05 लाख करोड़ रुपये थी।

यह भी पढ़ें: ‘सही था नोटबंदी का फैसला’- सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दी राहत

उच्चतम न्यायालय ने 4:1 के बहुमत के फैसले में सरकार के 2016 के 1,000 रुपये और 500 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों को चलन से बाहर करने के फैसले को उचित ठहराते हुए कहा है कि इस मामले में निर्णय लेने की प्रक्रिया दोषरहित थी। न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि आर्थिक नीति के संबंध में फैसले लेते समय काफी संयम बरतना होगा और न्यायालय न्यायिक समीक्षा करके कार्यपालिका के फैसले का स्थान नहीं ले सकता है।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने RBI अधिनियम की धारा 26(2) के तहत केंद्र को दिए गए अधिकार के बारे में बहुमत के फैसले से असहमति जताई और तर्क दिया कि 500 ​​रुपये और 1,000 रुपये की श्रृंखला के नोटों को कानून के जरिये समाप्त किया जाना था न कि अधिसूचना के जरिये।

First Published - January 2, 2023 | 3:33 PM IST

संबंधित पोस्ट