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Delhi Election: चुनावी गर्मी के बीच भी ठंडा रहा दिल्ली का चुनाव प्रचार सामग्री कारोबार, क्या हैं बड़े कारण?

इस विधानसभा चुनाव में उम्मीद का आधा भी कारोबार नहीं हुआ। चुनाव में प्रचार सामग्री कारोबारियों के लिए खरीदारों की बड़ी किल्लत देखने को मिली है।

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रामवीर सिंह गुर्जर   
Last Updated- February 03, 2025 | 6:21 PM IST

एक समय दिल्ली में दूसरे राज्यों के खरीदार बड़े पैमाने पर चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार सामग्री खरीदने आते थे। लेकिन अब दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भी प्रचार सामग्री कारोबारियों के लिए खरीदारों का टोटा पड़ गया है। कारोबारियों की मानें तो दिल्ली में चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार अब दम तोड़ रहा है। इस बार के दिल्ली विधान सभा चुनाव में तो प्रचार सामग्री की बिक्री अब तक सबसे कम है। इसकी वजह इस बार चुनाव में मुफ्त के वादों पर जोर अधिक रहना है। इन वादों के प्रचार के लिए राजनीतिक दल खुद ही प्रचार सामग्री के पोस्टर आदि छपवा रहे हैं। दिल्ली में इस बार कांग्रेस के दमखम से चुनाव लड़ने और कुल उम्मीदवारों की संख्या पिछले चुनाव से अधिक होने के बावजूद प्रचार सामग्री कारोबार मंदा होने से कारोबारी निराश हैं। कारोबारियों का कहना है चुनाव प्रचार के तौर तरीके बदलने से यह कारोबार लगातार कम हो रहा है। अब राजनीतिक दल झंडे, बैनर और पोस्टर की बजाय डिजिटल प्रचार पर अधिक जोर दे रहे हैं। सोशल मीडिया से भी परंपरागत चुनाव प्रचार सामग्री के कारोबार पर चोट पड़ी है। कारोबारियों ने प्रचार सामग्री के घटते कारोबार के बीच धार्मिक प्रचार सामग्री झंडे, बैनर आदि पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।

उम्मीद से आधा भी नहीं है प्रचार सामग्री का कारोबार

दिल्ली का सदर बाजार चुनाव प्रचार सामग्री कारोबार का बड़ा केंद्र है। इस बाजार में अपने पुश्तैनी प्रचार सामग्री के कारोबार को संभाल रहे गुरु प्रताप सिंह कहते हैं कि सदर बाजार ने ऐसा भी समय देखा है, जब प्रमुख दलों के उम्मीदवार खुद प्रचार सामग्री के ऑर्डर देने आते थे और प्रचार सामग्री की दुकानों पर खरीदारों की भारी भीड़ होती थी। लेकिन इस समय कारोबारी प्रचार सामग्री खरीदारों के लिए तरस रहे हैं। दिल्ली विधान सभा चुनाव में इस बार बीते चुनाव की तुलना में 40 फीसदी बिक्री भी नहीं हुई है। दिल्ली विधान सभा चुनाव की तुलना में तो लोक सभा चुनाव में अच्छी बिक्री हुई थी। सदर बाजार के ही एक चुनाव प्रचार सामग्री कारोबारी ने कहा कि 30 लाख रुपये की ही प्रचार सामग्री बिकी है, जबकि बिक्री 70 से 80 लाख रुपये होनी चाहिए थी। सदर बाजार के प्रमुख चुनाव प्रचार सामग्री कारोबारी सौरभ गुप्ता ने कहा कि इस बार चुनाव में उम्मीद का आधा भी धंधा नहीं हुआ है।

क्यों हुआ धंधा मंदा

गुरु प्रताप सिंह कहते है कि पहले चुनाव प्रचार में झंडे, बैनर, पटका, बैज, पोस्टर आदि का जोर होता था। लेकिन अब सोशल मीडिया और डिजिटल प्रचार पर अधिक जोर दिया जा रहा है। दिल्ली में पोस्टर तो लगा ही नहीं सकते हैं। झंडे और बैनर भी उम्मीदवार अब कम खरीद रहे हैं। पार्टी व उम्मीदवारों का जोर डिजिटल प्रचार पर ज्यादा है। इनके पास मतदाताओं के फोन नंबर हैं। इसलिए खासकर इस बार दिल्ली विधान सभा चुनाव वे किसी एजेंसी के माध्यम से फोन करके मतदाताओं से वोट देने की अपील कर रहे हैं।

गुप्ता ने कहा कि जब से दिल्ली चुनाव शुरू हुए हैं, तब से एक भी दिन ऐसा नहीं गया होगा कि दिल्ली वालों के पास दिन में उम्मीदवार और पार्टी के बड़े नेताओं के नाम से रिकॉर्ड किए गए फोन कॉल 4 से 5 बार वोट देने के लिए न आए हों। इस विधान सभा चुनाव में तीनों प्रमुख दलों ने महिलाओं को आर्थिक मदद समेत अन्य मुफ्त के वादे किए हैं। ऐसे में इनके नाम पर वोट मांगने के लिए भी फोन ही आ रहे हैं। सिंह कहते हैं कि पार्टियां पहले से ही खुद प्रचार सामग्री छपवाकर उम्मीदवारों को देती रही हैं। लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही दे रही हैं।

उम्मीदवारों और पार्टियों का जोर झंडे, बैनर, बैज, कटआउट आदि की बजाय मुफ्त वादों के पैम्फेलेट बांटने पर अधिक है, जो वे खुद ही बनवा रही हैं। सदर बाजार के कारोबारी मुकेश कुमार जैन ने पहली बार चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार शुरू किया था। लेकिन उन्हें इस बार निराशा हाथ लगी। वे कहते हैं कि बहुत कम ऑर्डर मिले हैं और जो स्टॉक बचा है, उसका निकलना भी अब मुश्किल लग रहा है। चुनाव प्रचार सामग्री कारोबारी महेंद्र अरोड़ा ने बताया कि इतनी कम बिक्री की उम्मीद नहीं थी।

राजनीतिक पार्टियों के खुद ही प्रचार सामग्री छपवाने पर जोर देने से भी कारोबारियों को चपत लग रही है। सिंह ने कहा कि अब झंडे कम बिकते हैं, उम्मीदवारों का जोर खुद के और पार्टी के अहम नेताओं के चेहरे पर रहता है। अब चुनाव व्यक्ति केंद्रित ज्यादा हो गया है। इसलिए डिजिटल प्रिंटिंग वाली सामग्री पर अधिक जोर है, जिसमें नेता का चेहरा साफ दिखता है। इन सामग्री में झंडा, पटका, कीरिंग, सिलिकॉन बैंड आदि शामिल हैं। गुप्ता ने कहा कि दिल्ली में चुनाव सर्दियों में हो रहे है। इसलिए कुछ ऑर्डर सर्दी वाली हुडी, मफलर, कानपट्टी के भी मिले हैं।

सुस्त पड़ते इस कारोबार से अब कारोबारी बनाने लगे हैं दूरी

ऐसा नहीं है कि चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार अचानक से कम होने लगा है। इसकी शुरुआत 10 साल पहले से ही हो गई थी। गुरु प्रताप सिंह कहते हैं कि आज से 15 साल पहले सदर बाजार में चुनाव प्रचार सामग्री के 15 से 20 प्रमुख कारोबारी होते थे। अब इनकी संख्या घटकर 5 से 7 रह गई है। प्रमुख कारोबारियों के अलावा छोटे कारोबारियों को मिलाकर कुल संख्या 60 से 70 पहुंच जाती थी। अब बाजार में मुश्किल से यह संख्या 20 भी नहीं होगी। गुलशन अरोड़ा सदर बाजार में वर्षों से चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार कर रहे हैं। वह कहते हैं कि इस बार मैंने भी बहुत माल मंगाया, वह भी पूरा नहीं बिका। ऐसा ही हाल रहा तो इस धंधे को छोड़ना पड़ेगा। सिंह कहते हैं कि प्रचार सामग्री के घटते कारोबार से न केवल कारोबारियों को चपत लग रही है, बल्कि इस काम से जुड़ने वाले मजदूरों के हाथ भी खाली हैं।

दिल्ली में प्रचार सामग्री का कच्चा माल तो गुजरात के सूरत, यूपी के मथुरा और हैदराबाद से आता है। लेकिन इनकी सिलाई का काम दिल्ली में किया जाता है। जिससे सिलाई करने वालों को रोजगार मिलता है। दिल्ली में इस बार कुल 699 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। दिल्ली में विधान सभा चुनाव उम्मीदवार के खर्च करने की सीमा 40 लाख रुपये है। मजबूती से चुनाव लड़ रहे तीनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों की संख्या 210 है। कारोबारियों का कहना है कि पहले आमतौर पर एक प्रत्याशी चुनाव में प्रचार सामग्री पर  8 से 10 लाख रुपये खर्च करता था। इस हिसाब से इन प्रत्याशियों से ही 15 से 20 करोड़ रुपये का कारोबार मिलता रहा है। लेकिन इस बार 5 से 7 करोड़ रुपये का कारोबार भी मिलना मुश्किल लग रहा है।

प्रमुख उम्मीदवारों के अतिरिक्त एक से दो करोड़ रुपये का कारोबार निर्दलीय व अन्य उम्मीदवारों से भी मिलता रहा है। प्रचार सामग्री का धंधा कमजोर होने से मार्जिन भी प्रभावित हुआ है। सिंह ने कहा कि अब 10 रुपये का झंडा 11 रुपये में भी बिक जाए तो बड़ी बात है, जबकि पहले यह 15 रुपये में भी बिक जाता था।

कारोबारी बदल रहे हैं रणनीति

सदर बाजार के कारोबारियों को चुनाव प्रचार सामग्री कारोबार से नुकसान होने लगा तो ये कारोबारी रणनीति में बदलाव करने लगे हैं। अब ये कारोबारी धार्मिक सामग्री बेचने पर भी ध्यान देने लगे हैं। सिंह ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद भगवान राम से जुड़ी धार्मिक सामग्री की मांग बढ़ी है। राम मंदिर के भूमि पूजन के समय तो जय श्री राम लिखे झंडे, बैनर, पोस्टर आदि की इतनी मांग थी कि इनकी पूर्ति भी नहीं कर पाए थे। उस समय की तुलना में इनकी मांग में काफी कमी आई है। लेकिन फिर भी मांग बनी हुई है। दिल्ली विधान सभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार और समर्थकों की ओर से जय श्री राम लिखे झंडे खरीदे जा रहे हैं।

आजाद समाज पार्टी के उदय के बाद जय भीम के झंडे और बैज की मांग भी बढ़ रही है। अरोड़ा ने कहा कि चुनाव प्रचार सामग्री का कारोबार तो चुनाव के समय ही होता है। लेकिन धार्मिक प्रचार सामग्री की मांग थोड़ी ही सही, पर हर समय बनी रहने की संभावना है।

First Published : February 3, 2025 | 6:21 PM IST