जारी रहेगी मौजूदा विदेश व्यापार नीति!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 6:30 AM IST

केंद्र सरकार मौजूदा विदेश व्यापार नीति की अवधि बढ़ा सकती है, जो 31 मार्च को खत्म होने वाली है। इस मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी है।
पिछले साल सरकार ने विदेश व्यापार नीति 2015-20 को 31 मार्च 2021 तक के लिए विस्तार दिया था, जिससे कि कोविड-19 की तूफान में फंसे निर्यातकों को मदद मिल सके। कोविड-19 के प्रसार को देखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन भी लगाया गया था, जिससे निर्यातकों को व्यवधान पहुंचा था। नीति को विस्तार दिए जाने से मिल रहे प्रोत्साहन जारी रहे, जो विभिन्न निर्यात संवर्धन योजनाओं के माध्यम से मिल रहे थे। इसका मकसद महामारी के कारण आए व्यवधान से जूझ रहे उद्यमों को मदद पहुंचाना था।
अधिकारियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कारोबार पर 5 साल का नया खाका तैयार करने में देरी हो रही है और इस विस्तार से नीति निर्माताओं को अहम नीतिगत फैसला लेने के लिए और वक्त मिल सकेगा। इससे निर्यातकों को भी खुद को तैयार करने के लिए पर्याप्त वक्त मिल सकेगा और कोविड-19 से संबंधित अनिश्चितता के बीच उन्हें बदलाव के मुताबिक तैयारियों का मौका मिलेगा।
एक अन्य अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मौजूदा नीति को 6 महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है। अगले कुछ महीनों के दौरान हमें स्थिति और ज्यादा साफ हो सकेगी कि महामारी की स्थिति में हम कहां खड़े हैं और इसके मुताबिक बेहतर फैसला लिया जा सकेगा। अगले कुछ महीनों में सरकार आगे की राह के बारे में फैसला करने में सक्षम हो सकेगी।’ उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले छह महीनों में वैश्विक कारोबार का परिदृश्य और साफ हो जाएगा।
उम्मीद है कि बुधवार को इस नीति को विस्तार दिए जाने को लेकर आधिकारिक बयान जारी  हो जाएगा।
इसी तरह से अगले कुछ महीनों में सरकार के राजस्व की स्थिति भी सुधरने की उम्मीद है। अधिकारी ने कहा, ‘उसके बाद राजस्व से जुड़ी कुछ चिंता का भी ध्यान रखा जा सकेगा।’
इसके पहले सरकार ने कहा था कि नई नीति 1 अप्रैल, 2021 से प्रभाव में आ जाएगी, जो 5 साल के लिए होगी। सरकार ने इसे लेकर संबंधित हिस्सेदारों के साथ बैठक भी की थी।
जनवरी महीने में वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) का मकसद अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में भारत को अग्रणी बनाने और सेवा व वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात के माध्यम से वृद्धि और रोजगार बढ़ाने पर केंद्रित होगी, जिससे भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचाने के लिए बनी समयसीमा में निर्यात बढ़ाना अहम है, जो वाणिज्यिक वस्तुओं और सेवा दोनों ही क्षेत्रों में होगा। साथ ही इस नीति के माध्यम से निर्यात की राह में आने वाली नीतिगत पर परिचालन ढांचे से संबंधित घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाधाएं दूर करने की कवायद होगी।’
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों के दौरान वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात पिछले साल की तुलना में 12 प्रतिशत कम होकर 256.18 अरब डॉलर रह गया है। वित्त वर्ष 2019-20 में कुल 314 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।

First Published : March 30, 2021 | 11:49 PM IST