क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल उधारी में फर्स्ट लॉस डिफॉल्ट गारंटी (FLDG) पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशा-निर्देशों से उन सेगमेंटों में व्यवसाय प्रभावित हो सकता है, जिनमें FLDG मौजूदा समय में तय सीमा से ऊपर है।
इसमें कहा गया है, ‘RBI ने FLDG की मात्रा और भागीदारी मॉडलों में गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) की पहचान के संबंध में मानक सख्त बनाए हैं। इसमें FLDG को ऋण पोर्टफोलियो के 5 प्रतिशत पर सीमित करना और इस गारंटी के तौर पर कॉरपोरेट गारंटी की अनुमति नहीं दिए जाने जैसे बदलाव शामिल हैं।’
RBI द्वारा डिजिटल उधारी में FLDG पर दिशा-निर्देश 8 जून को घोषित किए गए जिससे कि बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) द्वारा इसके इस्तेमाल से जुड़ी अनिश्चितता दूर की जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि जरूरी नियामकीय बदलाव किए गए हैं, जिससे व्यवसाय की मात्रा पर अल्पावधि में प्रभाव पड़ सकता है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अजीत वेलोनी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि भागीदारी/को-लेंडिग व्यवस्था (जहां FLDG की सुविधा मौजूद है, खासकर असुरक्षित ऋण और व्यावसायिक ऋण देने वालों के संबंध में) के बड़े हिस्से में मौजूदा समय में 5 प्रतिशत से ज्यादा का FLDG कवर है। ये सेगमेंट नए दिशा-निर्देशों से प्रभावित होंगे। दूसरी तरफ, सुरक्षित परिसंपत्तियों जैसे, आवास ऋण और संपत्ति पर ऋण (जिसमें FLDG अक्सर 5 प्रतिशत है) पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता है।’
इसके अलावा, उधारी सेवा प्रदाताओं (LSP) को FLDG पेश करने की अनुमति देने से ऋणदाताओं को गैर-NBFC और गैर-विनियमित संस्थाओं के साथ लगातार काम करने में मदद मिलेगी।
नए दिशा-निर्देशों में अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि FLDG के गैर-नकदी स्वरूप (बैंक गारंटी से अलग) स्वीकार्य नहीं है।
अजीत वेलोनी का कहना है, ‘नए दिशा-निर्देश तुरंत प्रभावी होने पर हमें को-लेंडिंग बाजार में उन कई सेगमेंट में गिरावट आने का अनुमान है, जिनमें FLDG ज्यादा है। हालांकि हमारा मानना है कि हालात सामान्य होने में कुछ समय लग सकता है।’