जलवायु संबंधी कार्रवाई के लिए जहां दुनिया 5 जून को नए आह्वान के साथ पर्यावरण दिवस मना रही है, वहीं भारत का क्लाइमेट-टेक (जलवायु-प्रौद्योगिकी) स्टार्टअप क्षेत्र अलग ही कहानी बयां कर रहा है। इस क्षेत्र में फंडिंग साल 2022 के 2.4 अरब डॉलर के मुकाबले साल 2024 में घटकर केवल 1.5 अरब डॉलर रह गई है।
साल 2024 के पहले पांच महीनों में स्टार्टअप कंपनियों को मिली कुल राशि 5.01 अरब डॉलर (127 कंपनियों के लिए) थी। यह इस साल की इसी अवधि में घटकर 2.79 अरब डॉलर (60 कंपनियां के लिए) रह गई। हालांकि इस मंदी के लिए फंडिंग में नरमी को भी कुछ हद तक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। लेकिन वेंचर कैपिटलिस्ट (वीसी) क्लाइमेट-टेक के पारिस्थितिकी तंत्र में कई चुनौतियों की ओर इशारा करते हैं। इनमें बढ़ोतरी की लंबी अवधि से लेकर अधिक पूंजी की जरूरतें और निवेश पर प्रतिफल (आरओआई) में अनिश्चितता शामिल है।
प्रौद्यागिकी पर केंद्रित निवेश प्लेटफॉर्म आईआईएमए वेंचर्स में सीड इन्वेस्टिंग के प्रमुख विपुल पटेल ने कहा ‘क्लाइमेट-टेक स्टार्टअप कंपनियों को मुख्य रूप से ग्राहक अधिग्रहण चक्र के कारण आगे बढ़ोतरी में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो पारंपरिक बी2बी (बिजनेस-टु-बिजनेस) स्टार्टअप कंपनियों की तुलना में आम तौर पर लंबा होता है। औद्योगिक में कार्बन हटाने और वैकल्पिक ईंधन जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली स्टार्टअप कंपनियों के लिए आरऐंडडी (अनुसंधान और विकास) तथा उत्पाद विकास (हार्डवेयर) की ज्यादा पूंजी की मांग आगे बढ़ने में भारी चुनौतियां पेश करती हैं।’
पटेल के विचारों को दोहराते हुए वीसी फर्म कैपिटल-ए के संस्थापक और प्रमुख निवेशक अंकित केडिया ने भी ऊंची पूंजी जरूरतों, लंबे वृद्धि चक्रों और बाजार पहुंच से संबंधित बाधाओं की बात कही। केडिया ने कहा, ‘क्लाइमेट-टेक स्टार्टअप (खासकर विनिर्माण वाले नवाचार पर केंद्रित) को अक्सर दोहरी बाधा का सामना करना पड़ता है – ज्यादा पूंजी की जरूरत और लंबा वृद्धि चक्र। इन उपक्रमों को हार्डवेयर साबित करने, औद्योगिक परीक्षण करने या नियामकीय नियमों पर खरा उतरने की आवश्यकता होती है।’
आविष्कार ग्रुप के संस्थापक एवं चेयरमैन विनीत राई ने कहा कि महत्वपूर्ण उद्योगों द्वारा क्लाइमेट टेक समाधानों की वाणिज्यिक समय-सीमा अपनाने की रही है।