महंगाई के चक्रव्यूह में घिरते जा रहे वित्त मंत्री पी. चिदंबरम आखिरकार खामोश नहीं रह सके।
क्या स्टील, सीमेंट और क्या कच्चा तेल-रुपया, गुरुवार को उन्होंने हर उस मसले पर बेबाकी से अपने बचाव की कोशिश की, जिसको लेकर समूची सरकार चंद महीनों से माथापच्ची करने में जुटी हुई है।
इस बेबाक बयानी में कहीं वह आक्रामक हुए तो कहीं उन्होंने सुरक्षात्मक रवैया भी अपनाया। कहीं उनकी बेबसी देखने को मिली तो कहीं सुलझे हुए अर्थशास्त्री की तर्ज पर मसले को सुलझाने की उनकी काबिलियत। बहरहाल, आइए देखते हैं, किस मसले पर क्या बोले चिदंबरम:
निर्यात शुल्क वापसी का प्रस्ताव नहीं
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि स्टील उत्पादों के निर्यात पर लगाए गए 15 फीसदी तक निर्यात शुल्क को हटाने के लिए इस्पात मंत्रालय की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं आया है। ऐसे में निर्यात शुल्क हटाने पर कैसे विचार किया जा सकता है। स्टील की कीमतों को काबू में करने और घरेलू बाजार में उसकी उपलब्धता बढ़ाने के लिए निर्यात को हतोत्साहित करने के मकसद से शुल्क की घोषणा की थी।
कच्चे तेल पर नहीं घटेगा आयात शुल्क
कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 120 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चल रहा है, जिससे सरकारी तेल विपणन कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है। वहीं वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बयान ने उनकी उम्मीदों पर और प्रहार किया है।
दरअसल, चिदंबरम ने कच्चे तेल पर आयात शुल्क में कटौती की किसी भी संभावना से ही पूरी तरह इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल पर आयात शुल्क में कटौती के कारण मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार तेल कंपनियों के घाटे की आंशिक भरपाई करती आ रही है।
रुपये पर क्यों मची हाय-तौबा
डॉलर के मुकाबले रुपये के एक साल के निम्नतम स्तर पर जाने के बारे में वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का कहना है कि रुपये में मजबूती या कमजोरी आम बात है। इस बारे में हाय-तौबा मचाना सही नहीं है।
यह पूछने पर कि उनके लिए रुपये का आरामदायक स्तर क्या है?
चिदंबरम ने कहा, ‘जब रुपया मजबूत होता है तो भी शिकायत होती है और जब कमजोर होता है तो भी शिकायत होती है।’ उन्होंने कहा कि रुपया दोनों ओर चलता है- कभी मजबूत होता है तो कभी कमजोर। दरअसल, यह डॉलर की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है।
उल्लेखनीय है कि अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया बुधवार को अमेरिकी मुद्रा (डॉलर) की तुलना में 33 पैसे और टूटा। डॉलर मांग के चलते रुपया 13 माह के निचले स्तर 42.45 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले एक साल के दौरान रुपये के मूल्य में तकरीबन 7 फीसदी की गिरावट आई है।
और कम हो सीमेंट की कीमत
सीमेंट कंपनियों के 3 से 7.5 रुपये प्रति बोरी कीमत कम करने पर सहमत होने के एक दिन बाद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि सीमेंट की खुदरा कीमतों में और कटौती की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सीमेंट की कीमतों में और अधिक कटौती की गुंजाइश है।
हालांकि उत्पाद शुल्क में कटौती की उद्योग की मांग पर विचार करने के बारे में उन्होंने कुछ भी नहीं बताया। वित्त मंत्री ने कहा कि कीमतें कम करने के बारे में उन्हें कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ और सीमेंट निर्माता कंपनियों के बीच बुधवार को हुई बैठक में तय किया गया था कि कीमतों में कुछ कटौती की जाएगी। कमलनाथ ने बताया कि कीमतों में बढ़ोतरी पिछले एक साल में केवल दो प्रतिशत हुई है, लेकिन सीमेंट उद्योग कीमतें कम करने पर सहमत हो गया है।