केंद्र सरकार द्वारा अगले वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय में ज्यादा इजाफा शायद ही हो। सरकार मानती है कि निजी क्षेत्र में पूंजीगत व्यय तेजी से बढ़ रहा है, इसलिए पूंजीगत व्यय ज्यादा बढ़ाने की जरूरत नहीं है। पिछले दो बजट में सरकार ने पूंजीगत व्यय में खासी बढ़ोतरी की थी।
चालू वित्त वर्ष के लिए 2022 के आम बजट में 7.5 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा गया था, जो वित्त वर्ष 2022 के संशोधित बजट अनुमान 5.54 लाख करोड़ रुपये से 35.4 फीसदी अधिक है। इससे पहले वित्त वर्ष 2021 के बजट अनुमान में 4.12 लाख करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा गया था।
अगले वित्त वर्ष के लिए केंद्र के पूंजीगत व्यय में 25 फीसदी बढ़ोतरी संभव
बिज़नेस स्टैंडर्ड का अनुमान है कि इस बार के बजट में वित्त वर्ष 2024 के लिए पूंजीगत व्यय में करीब 25 फीसदी इजाफा हो सकता है। इसका मतलब है कि अगले साल करीब 9.5 लाख करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया जाएगा। अगर पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये होता है तब भी यह पिछले दो साल में हुई बढ़ोतरी से कम ही रहेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘सरकारी और स्वतंत्र एजेंसियों से जुटाए गए आंकड़ों से पता चलता है कि निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में अच्छी खासी तेजी आ रही है। अगले साल केंद्र का पूंजीगत व्यय कितना बढ़ाया जाए, इस पर अभी चर्चा चल रही है।’
ऐसा लगता है कि शीर्ष नीति निर्माताओं ने सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में कम वृद्धि की बुनियाद तैयार कर दी है क्योंकि उनका कहना है कि निजी क्षेत्र का पूंजीगत खर्च न केवल कोविड -19 महामारी के दो साल बाद मांग में बढ़ोतरी के कारण बढ़ा है बल्कि उनके बही खातों में भी बढ़िया सुधार दिख रहा है।
सरकार का मानना है कि निजी क्षेत्र में पूंजीगत खर्च में देखा जा रहा है मजबूत इजाफा
पिछले महीने संसद के शीत सत्र में सीतारमण ने राज्यसभा को बताया था कि निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा था, ‘निजी पूंजीगत व्यय साल भर पहले के मुकाबले 35 फीसदी और कोविड के पहले के स्तर से 53 फीसदी अधिक है।’ सीतारमण ने यह भी कहा था कि सभी 14 क्षेत्रों में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कुछ दिन पहले एक अन्य समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में ऐक्सिस बैंक की उस रिपोर्ट का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान निजी क्षेत्र से 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि साल भर पहले की तुलना में 20-30 प्रतिशत अधिक निवेश हुआ है।
इससे पहले दिसंबर के शुरू में नागेश्वरन ने कहा था कि नीति निर्धारकों को यह तय करने की जरूरत है कि सार्वजनिक क्षेत्र से निवेश मौजूदा रफ्तार के साथ ही बढ़ाया जाए या निजी क्षेत्र को अर्थव्यवस्था आगे ले जाने का अधिक दायित्व सौंप दिया जाए।
सार्वजनिक क्षेत्र से नागेश्वरन का आशय केंद्र एवं राज्य सरकारों और राज्य नियंत्रित उपक्रमों से था। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र से पूंजी निवेश 6.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 21.2 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह ऐसे समय में हुआ, जब वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों का बहीखाता पूरी तरह दुरुस्त नहीं हुआ था।