उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह करदाताओं को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के पहले ती अवधि से मौजूदा जीएसटी व्यवस्था में इनपुट टैक्स क्रेडिट स्थानांतरित करने में आ रही तकनीकी व्यवधान को लेकर शपथपत्र दाखिल करे।
इसके पहले 2019 के आखिर में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा था कि करदाताओं के जीएसटी के दौर के पहले के इनपुट टैक्स क्रेडिट को आगे बढ़ाने से इनकार नहीं किया जाए, खासकर यह बताकर कि जीएसटी-टीआरएआईएन1 और जीएसटी-टीआरएआईएन2 नाम के संबंधित जीएसटी फार्मों को दाखिल करने में देरी हुई है।
ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि एक बड़ा विवाद इस मसले पर था कि करदाता जीएसटी नेटवर्क पोर्टर पर तकनीकी समस्याओं के कारण संबंधित जीएसटी फार्म दाखिल नहीं कर पा रहे हैं।
फैसले के बाद केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की थी।
शीर्ष न्यायालय ने अब सरकार को निर्देश दिया है कि वह इन फार्मों को दाखिल कनरे में आ रही समस्याओं और तकनीकी व्यवधान के मसले पर जवाब में शपथपत्र दाखिल करे।
उन्होंने कहा, ‘उद्योग जगत इस मसले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का उत्सुकता से इंतजार कर रहा है।’