भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर महत्त्वपूर्ण वार्ता के लिए अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल अगले सप्ताह नई दिल्ली की यात्रा पर आएगा।
दोनों पक्षों का लक्ष्य 2025 में अंत तक ‘पारस्परिक रूप से लाभकारी’ व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देना है। दोनों देशों के बीच यह चर्चा अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल से बराबरी वाला शुल्क लागू किए जाने से एक सप्ताह पहले होने वाली है।
भारत ने वार्ता के बारे में अपने विचार और प्रस्तावों की जानकारी देने के लिए अमेरिका के साथ गैर-दस्तावेज या गैर-बाध्यकारी अनौपचारिक चर्चा पत्र साझा किया है। उम्मीद है कि अमेरिका इस सप्ताह चर्चा पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया दे देगा। मामले के जानकार दो लोगों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि चर्चा पत्र का उद्देश्य स्थिति का आकलन करना है।
उनमें से एक ने बताया, ‘भारत ने (अमेरिका के साथ) एक अनौपचारिक दस्तावेज या चर्चा पत्र साझा किया है और अमेरिकी पक्ष भी ऐसा ही कर सकता है। भारत द्वारा चर्चा पत्र साझा करने का मकसद स्थिति का आकलन करना है। यह मुक्त व्यापार करार पर इससे शुरुआती वार्ता हो सकती है।’ समझौते की रूपरेखा तय होने के बाद द्विपक्षीय व्यापार करार के लिए वार्ता आधिकारिक तौर पर शुरू हो जाएगी।
चर्चा पत्र में भारत ने किन बिंदुओं को शामिल किया है, उसकी जानकारी नहीं है मगर समझा जाता है कि भारत कई उत्पाद श्रेणियों जैसे कपड़ा और चमड़ा जैसे श्रम प्रधान क्षेत्रों में शुल्क कम करने के लिए तैयार है। भारत पर कारों और शराब पर शुल्क घटाने का दबाव है, जहां आयात शुल्क 100 फीसदी से भी अधिक है। कृषि क्षेत्र को लेकर भी अमेरिका बाजार खोलने और शुल्क कम करने के लिए सौदेबाजी कर रहा है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने 4 से 6 मार्च के दौरान अमेरिका में यूएसटीआर जैमीसन ग्रीर और वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लटनिक सहित अमेरिकी प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की थी। इसके कुछ हफ्ते बाद ही यूएसटीआर टीम के भारत आने की उम्मीद है। इस हफ्ते की शुरुआत में वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा था कि दोनों पक्ष समझौते की व्यापक रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए आधिकारिक स्तर की चर्चा कर रहे हैं।
ब्रेटबार्ट न्यूज को दिए साक्षात्कार में अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा, ‘मुझे लगता है भारत अमेरिकी सामान पर शुल्क कम करेगा।’ उन्होंने कहा कि भारत के साथ उनके रिश्ते ‘बहुत अच्छे’ हैं। लेकिन भारत के साथ एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक हैं। उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि वह शायद उन शुल्क को काफी कम करने जा रहा है। लेकिन 2 अप्रैल से हम उनसे वही शुल्क वसूलेंगे जो वे हमसे वसूलते हैं।’