राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा के साथ मंगलवार को बजट के पहले की चर्चा के दौरान उद्योग संगठनों ने भारत की कर व्यवस्था में बदलाव का सुझाव दिया है। उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने मल्होत्रा के साथ अलग अलग बैठक की और आगामी बजट के लिए सुझाव दिए। प्रस्तुति के दौरान सीआईआई ने 20 लाख रुपये तक कर योग्य राशि पर आयकर से कुछ राहत मिलनी चाहिए।
पीएचडी सीसीआई ने कहा कि 30 प्रतिशत आयकर के ढांचे को बढ़ाकर 40 लाख रुपये और उससे ऊपर किया जाना चाहिए और इससे नीचे कर की दर 20 से 25 प्रतिशत तक रखी जानी चाहिए।
पीएचडीसीसीआई में प्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष मुकुल बागला ने कहा, ‘हमने राजस्व सचिव से कहा है कि 30 प्रतिशत कर 40 लाख से ऊपर आमदनी पर लगना चाहिए और 40 लाख रुपये से कम आमदनी वाले मध्य वर्ग के लोगों पर 20 से 25 प्रतिशत के दायरे में करना चाहिए।’
इस समय 15 लाख रुपये से ऊपर सालाना आमदनी पर 30 प्रतिशत कर लगता है। इसके पहले 10 लाख रुपये से ज्यादा आमदनी पर इतना कर लगता था। वहीं फिक्की ने किसी छूट की मांग नहीं की है, लेकिन भारत में कर व्यवस्था सरल करने का सुझाव दिया है। फिक्की कर समिति के संरक्षक दिनेश कनाबर ने कहा, ‘पूरा जोर सरलीकरण पर है।’
इस समय विदहोल्डिंग टैक्स की विभिन्न दरें हैं और स्रोत पर संग्रहीत कर भी अधिक है। उन्होंने यह भी कहा कि विवाद समाधान व्यवस्था को लेकर भी चर्चा की गई। कनाबर ने कहा कि फिक्री ने भारत में पूंजीगत लाभ कर के ढांचे के सरलीकरण का भी सुझाव दिया है।
सीआईआई ने कहा कि भारत में पूंजीगत लाभ कर का ढांचा बहुत जटिल है। वित्तीय परिसंपत्तियों को दीर्घावधि में बदलने के लिए धारण अवधि 12 महीने तथा अन्य परिसंपत्तियों के लिए 36 महीने रखी जाए। दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर की दर वित्तीय संपत्तियों के लिए 10 प्रतिशत और अचल संपत्तियों के लिए 20 प्रतिशत तय होना चाहिए।