भारत और अमेरिका द्वारा जारी संयुक्त बयान में ऊर्जा परिवर्तन पर खासा जोर दिया गया है। दोनों देशों ने नेट कार्बन जीरो यानी शून्य कार्बन उत्सर्जन और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के लक्ष्य हासिल करने के लिए साथ काम करने का संकल्प किया। इन्हें हासिल करने के लिए दोनों देशों ने अरबों डॉलर के पहले निवेश कोष का ऐलान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मुलाकात के बाद शुक्रवार तड़के जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘भारत और अमेरिका ने अनूठा निवेश मंच बनाने का संकल्प लिया, जो भारत में नई अक्षय ऊर्जा, बैटरी स्टोरेज और पर्यावरण के अनुकूल नई प्रौद्योगिकी परियोजनाओं को गति देने के लिए सस्ती पूंजी उपलब्ध कराएगा तथा विदेश से निजी निवेश आकर्षित करेगा।
अमेरिका और भारत अपनी तरह का पहला अरबों डॉलर का निवेश मंच तैयार करने की कोशिश करेंगे, जिसका मकसद ऐसी परियोजनाओं को तेजी देने वाली पूंजी दिलाना और जोखिम खत्म करना होगा।’
हरित ऊर्जा के क्षेत्र में दोनों देशों ने नए दौर के कई ईंधनों और प्रौद्योगिकियों के लिए हाथ मिलाने पर रजामंदी जताई। वे भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और अमेरिका के हाइड्रोजन एनर्जी अर्थशॉट के तहत पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन को किफायती बनाने के लिए साथ काम करेंगे।
अमेरिका ने बहुपक्षीय हाइड्रोजन ब्रेकथ्रू एजेंडा का नेतृत्व करने के भारत के फैसले का स्वागत भी किया। दोनों देशों के नेताओं ने उत्सर्जन घटाने में कार्बन कैप्चर, कार्बन के इस्तेमाल और भंडारण पर संयुक्त प्रयासों के विकास का भी आह्वान किया।
बयान में ‘ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस’ बनाने और विकसित करने पर भी जोर दिया गया। यह अलायंस इसी साल जुलाई में शुरू किया जाएगा और अमेरिका इसका संस्थापक सदस्य रहेगा।
अमेरिका ने खनिज सुरक्षा साझेदारी में हाल ही में शामिल होने पर भारत का स्वागत किया। इस साझेदारी का उद्देश्य ऊर्जा के लिहाज से महत्त्वपूर्ण खनिजों की विविधता भरी तथा टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला का विकास तेज करना है।
बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने भारत में छह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी (डब्ल्यूईसी) के बीच जारी बातचीत का भी जिक्र किया। उन्होंने कोव्वडा परमाणु परियोजना के लिए तकनीकी-वाणिज्यिक प्रस्ताव तैयार करने के लिए डब्ल्यूईसी को मौका दिलाने हेतु भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग और अमेरिका के ऊर्जा विभाग के बीच चल रही बातचीत का भी स्वागत किया।
बयान में कहा गया, ‘उन्होंने देसी बाजार के लिए और निर्यात के मकसद से भी साथ मिलकर अगली पीढ़ी के छोटे मॉड्युलर रिएक्टर की तकनीकें विकसित करने के लिए चल रही बातचीत का भी उल्लेख किया। अमेरिका ने भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बनाए जाने का एक बार फिर समर्थन किया और इस लक्ष्य पर आगे बढ़ने के लिए समान सोच वाले साझदारों के साथ संवाद जारी रखने का भी संकल्प लिया।’