इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने मंगलवार को आशंका जताई की कोरोनावायरस के चलते इस वित्त वर्ष में देश की आर्थिक गति आजादी के बाद सबसे खराब स्थिति में होगी।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द पटरी पर लाया जाना चाहिए। उन्होंने आशंका जताई कि इस बार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में स्वतंत्रता के बाद के सबसे बड़ी गिरावट दिख सकती है। नारायणमूर्ति ने ऐसी एक नई प्रणाली विकसित करने पर भी जोर दिया जिसमें देश की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में प्रत्येक कारोबारी को पूरी क्षमता के साथ काम करने की अनुमति हो।
मूर्ति ने कहा, ‘भारत की जीडीपी में कम से कम पांच प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसी आशंका है कि हम 1947 की आजादी के बाद की बससे बुरी जीडीपी वृद्धि (संकुचन) देख सकते हैं।’ साफ्टवेयर क्षेत्र में बड़ी पहचान रखने वाले मूर्ति ‘भारत की डिजिटल क्रांति का नेतृत्व’ पर आयोजित एक परिचर्चा में भाग ले रहे थे। नारायण मूर्ति ने कहा, ‘वैश्विक जीडीपी नीचे गई है। वैश्विक व्यापार डूब रहा है, वैश्विक यात्रा करीब करीब नदारद हो चुकी है। ऐसे में वैश्विक जीडीपी में पांच से 10 प्रतिशत तक संकुचन होने का अनुमान है।’ मूर्ति ने कहा कि लॉकडाउन लगने के पहले दिन से ही उनका यही विचार रहा है कि कोरोनावायरस के साथ ही जीवन जीने के लिए तैयार होना होगा। इसकी 3 वजहें हैं- इसकी दवा नहीं है, कोई इलाज नहीं है और अर्थव्यवस्था रोक नहीं सकते।
कोविड के झटकों से उबरने में लगेंगे 7 से 8 महीने
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से बाहर निकलने में कम-से-कम 7 से 8 महीने का समय लगेगा। इतना ही नहीं, पुनरुद्धार की दर इस बात पर निर्भर करेगी कि डिजिटलीकरण की दर क्या है और वे किस क्षेत्र में काम कर रहे हैं। डन ऐंड ब्रॉडस्ट्रीट के वैश्विक मुख्य अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने मंगलवार को यह कहा। एमएसएमई क्षेत्र का देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 29 प्रतिशत योगदान है। महामारी से यह क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित हुआ। वेबिनार में सिंह ने कहा कि एमएसएमई का पुनरूद्धार में लगने वाला समय इस बात पर निर्भर करेगा कि वह कौन से क्षेत्र में कार्यरत है। भाषा