अब समूचे उत्तर प्रदेश पर ‘बत्ती गुल’ होने का खतरा मंडरा रहा है।
यह खतरा मंडराने की वजह है, यूपी सरकार द्वारा लंबे अरसे से बकाया बिजली बिलों का भुगतान नहीं करना। इसके चलते खासे खफा होकर केन्द्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) ने उत्तर प्रदेश बिजली निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) से कहा है कि वह अपने बकाए का भुगतान छह किस्तों में कर दे। हर किस्त 128 करोड़ रुपये की होगी। यह भुगतान समयबध्द ढंग से होने वाले भुगतान के अलावा है।
गौर करने वाली बात यह है कि केंद्रीय संस्था ने पहली बार किसी राज्य के लिए इस तरह के कड़े कदम उठाने की चेतावनी दी है। सीईआरसी ने कहा है कि यदि यूपीपीसीएल बकाए का भुगतान करने में विफल रहता है तो उत्तरी क्षेत्र के लोड डिस्पैच सेंटर को बिजली सप्लाई काटने के लिए कहा जा सकता है। आयोग ने यूपीपीसीएल के आचरण पर निराशा जताते हुए कहा कि उसकी चेतावनी को कोरी चेतावनी न समझा जाए बल्कि वह इस पर खरा उतरने के पूरे मूड में है। आयोग ने डिस्पैच सेंटर से भी कहा है कि वह यूपीपीसीएल की भुगतान की स्थिति के बारे में सूचना दे।
लोगों पर तो गिर गई बिजलीमहंगाईकी मार झेल रहे उपभोक्तों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली दरें बढ़ाकर और समस्या खड़ी कर दी है। उप्र राज्य विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में औसत 14 फीसदी की बढ़ोतरी की है। आयोग का सबसे ज्यादा कहर लघु उद्योगों पर टूटा है, जिनके लिए बिजली की दरों में एकमुश्त 22 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
हालांकि ग्रामीण इलाकों के लोगों को राहत दी गई है और वहां बिजली की दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। शहरी क्षेत्र के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली 8 फीसदी महंगी कर दी गयी है, पर एक किलोवॉट भार क्षमता वाले उपभोक्ता अगर 150 यूनिट प्रतिमाह बिजली खर्च करेंगे तो पुरानी दरें लगेंगी।