कोविड-19 को दशकों में ‘कभी-कभार’ आने वाली महामारी करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि इसने देश के घर-घर को पीड़ा दी है और अर्थव्यवस्था पर भी बहुत बुरा असर डाला है। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने पूरी दुनिया को बदल कर रख दिया है और हमारा ग्रह कोविड-19 के बाद पहले जैसा नहीं रहेगा। उन्होंने कहा, ‘हम घटनाओं को आने वाले समय में कोविड से पूर्व या कोविड से बाद की घटना के रूप में याद करेंगे।’ बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वेसाक वैश्विक समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस चुनौती का मजबूती से मुकाबला कर रहा है और इसमें टीके की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 दशकों में मानवता के सामने आया सबसे बुरा संकट है, हमने पिछली एक सदी में ऐसी महामारी नहीं देखी। इसने दुनिया को बदलकर रख दिया है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी के खिलाफ लड़ाई में पिछले वर्ष के बाद से कई उल्लेेखनीय सुधार हुए हैं और आज इसे बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘इसके आधार पर हमारी रणनीति मजबूत हुई और हम इससे लड़ सके हैं। हमने टीके भी तैयार किए। टीके जीवन बचाने और महामारी को हराने के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है।” प्रधानमंत्री ने कोविड-19 टीकों का विकास करने वाले वैज्ञानिकों की सराहना की और कहा कि साल भर में इसका विकसित होना मनुष्य की दृढ़ता और उसके तप को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस महामारी में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि इस महामारी में जिन्होंने अपने प्रियजन को खोया और जो इससे पीडि़त रहे, वह उनके दुख में शामिल हैं।
इस अवसर पर मोदी ने जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद के मुद्दों को भी रेखांकित किया और कहा कि कोविड-19 से जंग करते समय अन्य चुनौतियों से मुख नहीं मोड़ लेना चाहिए जिनका सामना आज पूरी मानवता को करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा,’ मौजूदा पीढ़ी की लापरवाह जीवन-शैली ने भावी पीढ़ी को खतरे में डाल दिया है। हमें यह संकल्प करना होगा कि हम अपने ग्रह को चोट नहीं पहुंचाएंगे।’ उन्होंने भगवान बुद्ध का उल्लेेख करते हुए कहा कि वह हमेशा उस जीवन-शैली पर जोर देते थे, जहां प्रकृति को माता समझना सर्वोपरि था। उन्होंने कहा कि भारत के लिए ‘सम्यक जीवन’ केवल शब्द ही नहीं है, बल्कि कर्म भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में भारत चंद बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है। समारोह में नेपाल और श्रीलंका के प्रधानमंत्री के अलावा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के महासचिव भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि गौतम बुद्ध का जीवन शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व की शिक्षा देता है लेकिन आज भी ऐसी ताकतें मौजूद हैं जो नफरत, आंतक और हिंसा पर फलती-फूलती हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसी ताकतें उदार लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर यकीन नहीं करतीं। लिहाजा, इस बात की जरूरत है कि उन लोगों का आह्वान किया जाए, जो मानवता में विश्वास करते हैं। वे साथ आएं तथा आतंकवाद और कट्टरपंथ को परास्त करें।’ उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश और सामाजिक न्याय का महत्त्व पूरे विश्व को जोडऩे वाली शक्ति बन सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भगवान बुद्ध पूरे ब्रह्मांड के लिए सद्बुद्धि का भंडार हैं। हम सब उनसे समय-समय पर ज्ञान का प्रकाश ले सकते हैं तथा करुणा, सार्वभौमिक दायित्व और कल्याण के पथ पर अग्रसर हो सकते हैं।” उल्लेखनीय है कि यह आयोजन भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के सहयोग से करता है। इसमें दुनिया भर के बौद्ध संघों के सर्वोच्च प्रमुख शामिल होते हैं। इस समारोह को दुनिया के 50 से अधिक प्रमुख बौद्ध धार्मिक नेता संबोधित करेंगे। वेसाक-बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्म, बुद्धत्व की प्राप्ति और महा परिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
रामदेव पर राजद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए: आईएमए
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि कोविड-19 के उपचार के लिए सरकार के प्रोटोकॉल को चुनौती देने तथा टीकाकरण पर कथित दुष्प्रचार वाला अभियान चलाने के लिए योगगुरु रामदेव पर तत्काल राजद्रोह के आरोपों के तहत मामला दर्ज होना चाहिए। आधुनिक चिकित्सा पद्धति से इलाज करने वाले डॉक्टरों के प्रमुख संगठन ने एलोपैथी के खिलाफ कथित अपमानजनक बयान के लिए रामदेव को मानहानि का नोटिस भी भेजा है। संघ ने उनसे 15 दिन के अंदर माफी मांगने को कहा है। उसने कहा है कि ऐसा नहीं होने पर वह उनसे 1,000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति राशि मांगेगा। आईएमए ने मोदी को लिखे पत्र में कहा कि यह बड़ी संतोषजनक बात है कि देश में टीकों की दोनों खुराक ले चुके केवल 0.06 प्रतिशत लोगों को कोरोनावायरस का ‘मामूली’ संक्रमण हुआ और टीका लगवा चुके लोगों को फेफड़ों में अत्यंत गंभीर संक्रमण होने के मामले ‘बहुत दुर्लभ’ रहे। चिकित्सक संघ ने अपने पत्र में लिखा, ‘भलीभांति प्रमाणित है कि टीकाकरण से हम गंभीर संक्रमण के विनाशकारी प्रभावों से अपनी जनता और देश को बचाते हैं। इस मौके पर हम बड़े दुख के साथ आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे एक वीडियो में दावा किया जा रहा है कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद भी 10,000 डॉक्टरों की मौत हो गई और एलोपैथिक दवाएं लेने के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई, जैसा कि पतंजलि प्रोडक्ट्स के मालिक श्री रामदेव ने कहा है।’
इसमें कहा गया, ‘हम आधुनिक चिकित्सा पेशेवरों के प्रतिनिधि कहना चाहते हैं कि हम अस्पतालों में आने वाले लाखों लोगों के उपचार में आईसीएमआर या राष्ट्रीय कार्यबल के माध्यम से स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों तथा प्रोटोकॉलों का पालन करते हैं। अगर कोई दावा कर रहा है कि एलोपैथिक दवाओं से लोगों की जान गई तो यह मंत्रालय को चुनौती देने का प्रयास है जिसने हमें प्रोटोकॉल जारी किया।’