केंद्र सरकार का अप्रैल-फरवरी के दौरान राजकोषीय घाटा लक्ष्य का 82.8 प्रतिशत रहा है। सरकार ने वित्त वर्ष 23 के लिए संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 17.55 लाख करोड़ रुपये रखा था। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 22 की समान अवधि में राजकोषीय घाटा, लक्ष्य का 82.7 प्रतिशत था।
केंद्र सरकार ने इस अवधि के दौरान वित्त वर्ष 23 में पूंजीगत व्यय के 7.3 लाख करोड़ रुपये लक्ष्य का 81.1 प्रतिशत खर्च किया था, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 80.6 प्रतिशत खर्च किया गया था। अप्रैल-फरवरी के दौरान राजस्व व्यय वित्त वर्ष 23 के संशोधित अनुमान 34.59 लाख करोड़ रुपये का 83.9 प्रतिशत है और यह पिछले साल की समान अवधि के संशोधित राजस्व व्यय आवंटन की तुलना में 9.2 प्रतिशत ज्यादा है।
वित्त वर्ष 23 के पहले 11 महीने में केंद्र सरकार की ओर से पूंजीगत व्यय जारी रहा है और पिछले साल की समान अवधि की तुलना में पूंजीगत व्यय करीब 21 प्रतिशत ज्यादा रहा है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि फरवरी 2022 की तुलना में फरवरी 2023 में राजकोषीय घाटे में कम बढ़ोतरी की वजह पूंजीगत व्यय और कर विभाजन कम होने की वजह से है।
उन्होंने कहा, ‘सकल कर राजस्व में बढ़ोतरी फरवरी 2023 में कम होकर 4.5 प्रतिशत रह गई है, जो कॉर्पोरेशन टैक्स और उत्पाद शुल्क में कमी की वजह से है। सकल कर राजस्व मार्च 2023 में 14 प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत है, तभी वित्त वर्ष 2023 के संशोधित अनुमान का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।’
अप्रैल फरवरी 2023 के दौरान कुल व्यय 34.93 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो संशोधित अनुमान का 83.4 प्रतिशत है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में व्यय 83.4 प्रतिशत था। अप्रैल-फरवरी 2023 के दौरान शुद्ध कर राजस्व 17.32 लाख करोड़ रुपये था, जो पिछले साल की समान अवधि में एकत्र राशि का करीब 17 प्रतिशत है।