भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर कमजोर पडऩा और टीकाकरण तेज होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है और बेहतर माहौल में अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में 22.1 प्रतिशत की छलांग लगाई होगी। मगर मांग पूरी तरह पटरी पर लौटने में अभी समय लगेगा। केंद्रीय बैंक ने अपने जुलाई बुलेटिन में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर लिखते हुए कहा, ‘मांग की स्थिति में ठोस इजाफा नहीं हुआ है। आर्थिक विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने पर भी अर्थव्यवस्था की सेहत पूरी तरह नहीं सुधरेगी और मांग पूरी तरह सुधरने में कुछ समय लग सकता है।’ आरबीआई ने कहा कि मॉनसून फिर सक्रिय होने से कृषि क्षेत्र के लिए संभावनाएं मजबूत हुई हैं, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्रों में तेजी नहीं आ सकी है।
केंद्रीय बैंक ने यह जरूर कहा कि प्रोटीन युक्त उत्पाद, खााद्य तेल एवं दलहन की आपूर्ति में बाधा और क्षेत्र विशेष मांग-आपूर्ति असंतुलन की वजह से महंगाई में तेजी आई है। आरबीआई ने कहा, ‘आपूर्ति व्यवस्था दुरुस्त करने के उपाय कारगर होने पर अगले एक वर्ष के दौरान ये बाधाएं दूर हो जानी चाहिए।’ रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लगता है कि महंगाई अगले कुछ महीनों तक इसी स्तर पर रहेगी और वित्त वर्ष 2021-22 की तीसरी तिमाही में बाजारों में खरीफ फसलें आने के बाद नीचे आ जाएगी। आरबीआई ने रिपोर्ट में कहा कि आपूर्ति पक्ष से जुड़ी समस्याएं दूर करने के लिए कदम जरूर उठाए गए हैं लेकिन और अधिक प्रयास किए जाने की जरूरत है। कोविड महामारी और तीसरी लहर की आशंका पर आरबीआई ने कहा कि अगर वायरस के नए स्वरूप सामने नहीं आए तो तीसरी लहर अधिक परेशानी पैदा करने वाली नहीं होगी और जन-जीवन अगस्त तक सामान्य हो जाएगा। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगस्त में डेल्टा प्लस वायरस के अलावा 25 प्रतिशत अधिक तेजी से संक्रमित करने वाले नए स्वरूप सामने आए तो इसका असर अधिक रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ई-वे बिल, माल ढुलाई, बिजली उत्पादन और मकानों की बिक्री से जुड़े आंकड़े मांग में लगातार सुधार आने का संकेत दे रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले वित्त वर्ष में देश में आई शुद्ध विदेशी पूंजी किसी न किसी मद पर खर्च हो गईं और मुद्रा भंडार में शामिल नहीं हो सकी। इसके बावजूद 2 जुलाई को देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 610 अरब डॉलर के सर्वकालिक स्तर पर पहुंच गया।
